महिलाओं को शनिदेव (Shani Dev) की मूर्ति या उनके शिला रूप को छूना नहीं चाहिए। धर्म-शास्त्रों के मुताबिक ऐसा करने से महिलाओं पर शनि की नकारात्मयक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पुराणों में कहा गया है कि शनि देव की नकारात्मपकता का असर महिलाओं पर ज्याादा पड़ता है इसलिए उन्होनें शनि की मूर्ति छूने या उस पर तेल चढ़ाने से बचना चाहिए। बेहतर है कि वे शनि मंदिर में शनि की शिला या पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक लगाएं। इसके अलावा वे शनि संबंधित चीजों का दान करके भी शनि देव की कृपा पा सकती हैं।
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
इस दिन शनि देव को तेल अर्पित करें।
शनि देव को पुष्प अर्पित करें।
शनि देव को भोग लगाएं।
शनि देव की आरती करें।
शनि चालीसा का पाठ करें।
शनि देव के मंत्रों का जप करें।
शनि स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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चावल तथा काली तिल, काला धागा, फूलपत्ती विशेषकर: काले फूल, अगरबत्ती दीपक सरसों या मीठा तेल नैवेद्य मिठाई आदि रूई के पत्ते, कपूर,श्री शनिदेव की तस्वीर तथा यंत्र तेल में बनीं पूड़ियां, काला उड़द, लौंग पान-सुपारी, गंगाजल या किसी पवित्र सरिता का जल शनिदेव की पूजा-अर्चना ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव (Shani Dev) की प्रतिमा या शिला के सामने करनी चाहिए।
• मान्येता है कि घर में शनिदेव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
• सुबह स्नाान करके पूजा की तैयारी करें।
• गणेश जी के पूजन से शनिदेव की पूजा प्रारंभ करें।
शनि देव की पूजा बहुत सावधानी से करना चाहिए क्यों कि इसमें की गई एक गलती भी जिंदगी को संकट में डाल सकती है। खासतौर पर ऐसे लोग जो बुरे या अनैतिक काम करते हैं, वे तो हमेशा ही शनि की नजर में रहते हैं। इसलिए उन्हें न्यौय का देवता कहा जाता है। जहां तक बात महिलाओं द्वारा शनि देव की पूजा करने की है तो कुंडली में शनि की बुरी स्थिति से बचने के लिए उनकी आराधना कर सकती हैं। शनि की कुदृष्टि से निजात पाने के उपाय कर सकती हैं लेकिन उन्हेंच गलती से भी शनि देव की मूर्ति को छूना नहीं चाहिए। ऐसा करना उनकी जिंदगी में भारी संकट ला सकता है।
यदि किसी कारणवश आप शनिदेव (Shani Dev) महाराज के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं। सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं। अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें। घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें। भगवान शिव औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं। पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें। उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें।
नोट- यह एक सामान्य जानकारी है। इसकी सटीकता पर हिंदी खबर दावा नहीं करता है।
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