हिंदू धर्म में कई त्योहार हैं, जिसे पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। भारत को त्योहारों का घर कहा जाता है क्योंकि एक के बाद एक त्योहार आते रहते है। त्योहारों के कारण आम दिन भी उत्सव के समान लगते हैं। लेकिन कुछ त्योहार किसी खास जगह के प्रमुख त्योहार बन जाते हैं। जैसे दिल्ली की दिवाली, केरल का ओणम और महाराष्ट्र का गणेश उत्सव प्रमुख है। वहीं, दुर्गा पूजा की बात करें तो यह बंगाल का प्रमुख त्योहार है। बंगाल में दुर्गा पूजा को लोग काफी अलग और खास तरीके से मनाते हैं। यहां की दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है इसलिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। लेकिन यहां दो तरह से दुर्गा पूजा मनाई जाती है। इसे पारा दुर्गा पूजा और बारिर दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं दोनों के बारे में।
पारा दुर्गा पूजा
बंगाली परंपरा के अनुसार पारा दुर्गा पूजा यानी स्थानीय दुर्गा पूजा जो सामान्यत पंडालों और कम्यूनिटी हॉल में होती है। इसमें रोशनी,डिजाईन्स,थीम, स्टॉल, सजावट और भीड़ महत्व रखती है। पंडालों को खूब सुंदर ढंग से सजाया जाता है। यहां तक की मुकाबले भी किए जाते हैं।
बारिर दुर्गा पूजा
बंगाली भाषा में घर को बाड़ी या बारी कहा जाता है. बारिर दुर्गा पूजा का मतलब होता है घरों में होनी वाली दुर्गा पूजा। इस तरह के पूजा आमतौर पर धनी, संपन्न या फिर पुश्तैनी घरों के लोग ही कराते हैं। बारिर दुर्गा पूजा में घर के लोग और रिश्तेदार शामिल होते हैं।
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