छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं कार्तिक छठ खरना की तारीख 29 अक्टूबर, दिन शनिवार है। इस पावन दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाती हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ये व्रत शुरू हो जाता है। आइए जानते हैं खरना का मुहूर्त, विधि और नियम
खरना का महत्व
खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण. इसे लोहंडा भी कहा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाने की परंपरा है। छठ पर्व बहुत कठिन माना जाता है और इसे बहुत सावधानी से किया जाता है। माना जाता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करती हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
खरना वाले दिन व्रती सुबह स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते है। इसके अगले दिन भगवान सुर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद बनाया जाता है। रात में पूजा करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते है। इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आज 29 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 13 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि की समाप्ति कल 30 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 49 मिनट पर होगी।
लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
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