यूपी चुनाव: किसने किसका छोड़ा हाथ, किसका थामा दामन, जितिन प्रसाद से स्वामी प्रसाद तक 15 बड़े दलबदल

यूपी में चुनाव के एलान के तुरंत बाद सियासी दलों में दल-बदल जारी है। सारे दलों के नेता अपने लिए उचित अवसर और सुरक्षित पद की चाह में एक दल से दूसरे दल में जाने की फिराक में हैं। इस ख़बर के जरिए हम चर्चित चेहरों की बात करेंगे जिन्होंने दूसरी पार्टियों का हाथ थामा और चर्चा में रहे।
स्वामी प्रसाद मौर्य
यूपी सरकार में श्रम मंत्री पद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते दिन इस्तीफा दे दिया। अब चर्चा है कि जल्द ही वे सपा का दामन थाम सकते हैं। सपा में शामिल होने के सवाल पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वे इसका जवाब 14 जनवरी को देंगे।
स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर के पड़रौना से विधायक रहे हैं। मौर्य अब तक पांच बार चुन कर विधानसभा जा चुके हैं।

हरेंद्र मलिक
वेस्ट यूपी से जाट नेता हरेंद्र मलिक ने यूपी चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को चुना लगा दिया। हरेंद्र मलिक अपने बेटे पंकज मलिक के साथ सपा में शामिल हो गए। हरेंद्र 1985 में लोकदल के टिकट पर पहली बार खतौली से विधायक बने थे। हरेंद्र मलिक और उनके बेटे के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस में कोई जाट नेता नहीं है।

जितिन प्रसाद
चुनाव के पहले बीजेपी ने कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को एमएलसी बनाकर कैबिनेट में शामिल कर लिया। जितिन प्रसाद दो बार सासंद रहे हैं और कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जितिन प्रसाद को बीजेपी में शामिल करने के पीछे प्रदेश के ब्राह्मण वोटरों को साधना था।

अदिति सिंह
अदिति सिंह 2017 में कांग्रेस से विधायक चुनी गई थी। पिछले साल नवंबर में उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था। बुधवार को आदिति सिंह ने अपने फेसबूक पर ‘सब्र’ लिख कर पोस्ट किया, जिसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

ललितेश पति त्रिपाठी
ललितेश पति त्रिपाठी ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर टीएमसी का दामन थाम लिया था। चर्चा है कि 2022 के विधासभा चुनाव में टीएमसी सपा के साथ गठबंधन में लड़ेगी। गठबंधन में टीएमसी को मड़िहान सीट मिला। इस सीट से ललितेश पति त्रिपाठी के चुनाव लड़ने की संभावना है।

रामअचल राजभर
अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले रामअचल राजभर बसपा को छोड़ कर सपा में शामिल हो गए। राजभर बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। राम अचल राजभर 2017 चुनाव में अकबरपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। राजभर 1993 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद उन्होंने 1996, 2002, 2007 और 2017 का विधानसभा चुनाव भी जीता।

हरिशंकर तिवारी
बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए हरिशंकर तिवारी के बारे में एक किस्सा है कि इनका सिक्का हर सरकार में चलता रहा है। पुर्वांचल से तालुक रखने वाले हरिशंकर तिवारी के सपा में शामिल होने के बाद पार्टी को ब्राह्रमण वोटरों के साथ की उम्मीद है। हरिशंकर तिवारील के साथ उनके बेटे विनय शंकर तिवारी , पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भांजे गणेश शंकर पांडेय ने भी सपा ज्वाइन कर लिया।

इमरान मसूद
राहुल और प्रियंका के करीबी माने जाने वाले कांग्रेसी नेता इमरान मसूद ने सपा में जाने का फैसला किया है। इमरान मसूद ने सपा में जाने के सवाल पर कहा, भाजपा और सपा के बीच में जंग होती दिख रही है, इसलिए मैंने सपा में जाने का फैसला किया है।
इमरान मसूद ने साल 2007 में मुजफ्फराबाद के विधायक के रूप में एक कार्यकाल के लिए पदभार संभाला था। लेकिन अपनी पहली चुनावी जीत के बाद वो लगातार तीन चुनाव हार गए। जिनमे नाकुर से दो विधानसभा चुनाव और सहारनपुर से एक संसदीय चुनाव शामिल हैं। वे वर्तमान में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं।

कादिर राणा
मुजफ्फरनगर से सांसद और विधायक रहे कादिर राणा ने भी बसपा छोड़कर सपा को चुन लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा के हाथी से उतर कर सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं। जिसके बाद बसपा ने मुजफ्फरनगर से अपने एक बड़े मुस्लिम नेता को खो दिया है।

सलीम शेरवानी
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी ने भी पिछले दिनों कांग्रेस का हाथ छोड़कर सपा की साइकिल की सवारी चुनी है। बदायूं से कई दफा सांसद रहे सलीम शेरवानी को कांग्रेस का करीबी माना जाता था लेकिन पिछले काफी वक्त से वो साइडलाइन चल रहे थे, जिसके कारण उन्होंने सपा की ओर वापसी की।

अन्नू टंडन
उन्नाव से सांसद रहीं अन्नू टंडन ने भी कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। अन्नू टंडन साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर उन्नाव से सांसद बनी थी। हालांकि पिछले दो चुनावों से वो लगातार हार रही थीं। ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की ओर से नाराजगी और लगातार हो रही उपेक्षा के कारण उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी को चुना।

चौधरी विजेंदर सिंह
पश्चिमी यूपी की सियासत का बड़ा जाट चेहरा माने जाने वाले पूर्व सांसद विजेंदर सिंह भी कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही अलीगढ़ की राजनीति में भी विजेंदर सिंह एक बड़ा नाम हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस के टीकट पर वो विधायक से लेकर सांसद तक की जीत हासिल कर चुके हैं।

राकेश राठौर
सीतापुर से विधायक राकेश राठौर साल 2022 में बीजेपी छोड़ने वाले पहले विधायक थे। उन्होंने भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। राकेश राठौर सरकार में रहते हुए कई बार योगी सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं।

राकेश पांडेय
बसपा के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद राकेश पांडेय भी बसपा के हाथी से उतरकर सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं। राकेश पांडेय अंबेडकरनगर से लोकसभा सदस्य रहे हैं। मौजूदा वक्त में उनके बेटे रितेश पांडेय इसी सीट से सांसद हैं।

आरके चौधरी
कांशीराम के साथ बसपा का गठन करने वाले आरके चौधरी भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं। आरके चौदरी कई बार विधायक रह चुके हैं। वो दलित वर्ग के पासी समुदाय से आते हैं। गौरतलब है कि अवध के जिलों में पासी वोटर काफी निर्णयक भूमिका में रहते हैं।
आरके चौधरी मायावती से लेकर मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
