Rajeev Chandrasekhar on Sam Pitroda: केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के ‘हिंदू राष्ट्र या सेक्युलर देश’ वाले बयान पर जवाब दिया है. सैम पित्रोदा ने कहा था कि भारत के लोगों को तय करना होगा कि वे हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं या वे एक सेक्युलर, समावेशी और विविधता वाला देश चाहते हैं.
उनके इस बयान पर केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सैम पित्रोदा इस बात का उदाहरण है कि कांग्रेस देश की नब्ज़ से कितनी दूर है. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “सैम पित्रोदा इस बाद का काफ़ी बेहतर उदाहरण है कि कांग्रेस देश की सोच और उसकी आत्मा से काफ़ी दूर हो चुकी है.”
“यूपीए की सरकार में जब सैम पित्रोदा बड़े पावरफुल व्यक्ति हुआ करते थे तो 2जी घोटाला सामने आया था, देश मुद्रास्फ़ीति से घिरा था, निवेश घट रहा था. तब सैम पित्रोदा ने कहा था- ‘थोड़ी मंहगाई से क्या होता है. लोगों को थोड़ा सहना चाहिए.’ जब पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ तो पित्रोदा ने कहा था- ‘लोगों को मरने के पैसे मिलते हैं.’ ऐसे व्यक्ति राहुल गांधी के मेंटर हैं. कई तरीकों से ये राहुल गांधी की सोच में भी दिखता है. इनके लिए हिंदुत्व मायने नहीं रखता.”
सैम पित्रोदा ने कहा था कि 2024 का चुनाव भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. मुझे उम्मीद है कि भारत के लोग सोचेंगे कि 2024 का चुनाव भारत के भविष्य के लिए कितना ज़रूरी है.
उन्होंने समचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “हम महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं जहां भारत के लोगों को तय करना होगा कि वे किस तरह का राष्ट्र बनाना चाहते हैं. क्या वे हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं या फिर वे एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं जो वास्तव में धर्मनिरपेक्ष, जिसमें समावेश, विविधता और स्थिरता को तवज्जो दी जाए.”
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन पर उन्होंने कहा- “मुझे किसी भी धर्म से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मुझे समस्या तब होती है जब धर्म देश का मुद्दा बनाया जा रहा है. धर्म एक व्यक्तिगत चीज़ है.कभी-कभार मंदिर के दर्शन के लिए जाना ठीक है, लेकिन आप उसे मुख्य मंच नहीं बना सकते हैं. 40 प्रतिशत लोग भाजपा को वोट देते हैं. 60 प्रतिशत लोग भाजपा को वोट नहीं देते हैं. वह हर किसी के प्रधानमंत्री हैं न कि किसी पार्टी के. यही संदेश भारत के लोग प्रधानमंत्री से चाहते हैं.”
“रोजगार के बारे में बात करें, मुद्रास्फीति के बारे में बात करें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और चुनौतियों के बारे में बात करें. लोगों को तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोज़गारी असली मुद्दा है.”
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