सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का जन्म 14 फरवरी 1952 को अम्बाला छावनी में हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा (Hardev Sharma) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। इनकी माता का नाम लक्ष्मी देवी (Laxmi Devi) था। उनका परिवार मूल रुप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। सुषमा की पढ़ाई सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में संपन्न हुई।
1970 में सुषमा को उनके कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से नवाजा गया था। वे लगातार तीन साल तक एस.डी. कॉलेज छावनी की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी प्रवक्ता भी चुनी गई थीं। उसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से कानून की शिक्षा प्राप्त की। सन् 1973 में उन्हें विश्वविद्यालय ने सर्वोच्च वक्ता का सम्मान दिया था।
13 जुलाई 1975 में उनका विवाह स्वराज कौशल (Swaraj Kaushal) के साथ हो गया। स्वराज कौशल सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे और मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। सुषमा और कौशल की एक पुत्री है। 67 साल की उम्र में 6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज का दिल्ली में निधन हो गया।
सुषमा स्वराज की हिन्दी भाषा में बड़ी अच्छी पकड़ थी। वह विश्व हिन्दी सम्मेलनों में बढ़-चढ़कर भाग लेती थीं। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने अपने एक चर्चित भाषण में सितम्बर 2016 में सयुंक्त राष्ट्र में हिन्दी में ही भाषण दिया था। उनके इस भाषण की पूरे देश में चर्चा हुई थी। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भी उन्होंने अनेक प्रयत्न किए।
संस्कृत भाषा में भी उनका लगाव देखने को मिलता था। वे हमेशा संस्कृत भाषा में शपथ लिया करती थीं। उन्होंने अनेक अवसरों पर संस्कृत में भाषण दिया। 2012 में मुंबई में हुए ‘साउथ इंडिया एजुकेशन सोसायटी’ ने सुषमा को पुरस्कार दिया था। सुषमा ने बोलने के लिए संस्कृत को चुना था। 2015 में 16वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकॉक में हुआ जिसकी मुख्य अतिथि सुषमा स्वराज थीं। उन्होंने पांच दिन के इस सम्मेलन का उद्घाटन भाषण संस्कृत में दिया था।
सुषमा को अनेक भाषाओं का ज्ञान था। वह हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, हरियाणवी, पंजाबी, उर्दू में भी अच्छी पकड़ रखती थीं। जब कर्नाटक से चुनाव लड़ीं, तो उन्होंने कन्नड़ भी सीख ली थी।
आपातकाल के दौरान सुषमा ने क्रांति आंदोलन में हिस्सा लिया था। आपातकाल के बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गई। 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और महज 25 साल की उम्र में चौधरी देवी लाल सरकार में राज्य की श्रम मंत्री बन गई। दो साल बाद उन्हें जनता पार्टी (राज्य) का अध्यक्ष चुना गया।
80 के दशक में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। अंबाला से वह दोबारा विधायक चुनी गई और बीजेपी-लोकदल में वह शिक्षा मंत्री बनाई गई। 1998 में सुषमा दोबारा दक्षिण दिल्ली संसदीय सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। इस बार उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के साथ ही दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।
अक्टूबर में सुषमा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया और बतौर दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था। 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरीं लेकिन वो हार गयीं। फिर साल 2000 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में संसद में वापस लौट आयी।
सुषमा को वाजपेयी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया था। आडवाणी की जगह 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनीं।
सन् 2009 में वह मध्यप्रदेश के विदिषा लोकसभा पहुंची तो अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की जगह 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाई गई। उन्होंने 2014 तक इस पद को संभाला। 2014 में वो दोबारा विदिशा से जीतीं और मोदी मंत्रिमंडल में भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनाई गयीं।
सुषमा स्वराज सात बार सांसद और तीन बार विधायक के साथ दिल्ली की पांचवीं मुख्यमंत्री, 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, संसदीय कार्य मंत्री, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर रह चुकी थीं। पढ़ें- सुषमा स्वराज की मृत्यु कैसे हुई थी, क्या कारण था कि उन्हें बचाया नहीं जा सका?
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