Habeas Corpus: गुमशुदा पति के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला, कोर्ट ने मलेशिया के उच्चायुक्त को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मलेशिया के उच्चायुक्त को बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका के तहत नोटिस जारी किया। याचिका में एक पत्नी ने अपने पति का पता लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता महिला का कहना कि उसका पति नौकरी के लिए मलेशिया गया था और 2015 से लापता है।
क्या है पूरा मामला?
याचिका में बताया है कि नरेंद्र कुमार पचौरी नाम के एक व्यक्ति ने याचिकाकर्ता राजकुमारी के पति विजय सिंह को विदेश में अच्छी नौकरी दिलाने के बहाने उससे पैसे लिए थे। कई बार पैसे लेने के बाद अक्टूबर 2014 में नौकरी के लिए मलेशिया भेज दिया गया। मलेशिया भेजने से पहले उसे 45,000 रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिलने का वादा किया गया था।
याचिका में आरोप है कि लखविंदर सिंह नाम का व्यक्ति मलेशिया में राजकुमारी के पति से मिला और उसके पैसे की हेराफेरी करने लगा। उसके बाद बैंक खाते में 4 लाख का भुगतान करने के धमकी भरे संदेश मिलने लगे।
आगे याचिका में कहा गया कि पांच भारतीय पुरुषों ने राजकुमारी के पति और तीन अन्य को 2015 में अपहरण कर लिया था और एक कमरे में बंद कर दिया था। उनमें से एक भागने में सफल रहा और उसने मलेशिया के मंजुंग जिले में पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी।
राजस्थान से मांगा जवाब
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यू.यू ललित, एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला.एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने राजस्थान राज्य और उच्चायुक्त से जवाब मांगा है। बता दें महिला ने आरोप लगाया है कि कि प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और पुलिस ने उसकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
क्या है हैबियस कोर्पस (Habeas Corpus)?
बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas corpus) संविधान के कई रिट (Writ) में से एक है। अब सवाल ये होगा कि ये रिट क्या है? दरअसल रिट (Writ) न्यायालय द्वारा जारी एक आदेश पत्र होता है। Habeas corpus रिट के तहत न्यायालय किसी भी व्यक्ति की अवैध गिरफ्तारी के बाद संबधित संस्था (जिसने गिरफ्तार किया है) को आदेश देती है कि उस गिरफ्तार व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए। इसके साथ ही संबंधित संस्था को बंदी के ऊपर लगे आरोपों को न्यायालय को बताना होता है।
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