विश्व प्रसिद्द केदारनाथ मंदिर में चारों दीवारों पर सोने की परत को लगाया जा रहा है। इसके कार्य के लिए महाराष्ट्र के एक शख्स ने सोना दान किया है हालांकि केदारनाथ धाम के पुरोहित मंदिर के भीतर सोने की परत लगाए जाने का पुरजोर विरोध कर रहे है।
तीर्थ पुरोहितों का तर्क हैं कि इस पवित्र मंदिर की पौराणिक परंपराओं के साथ खिलवाड़ की जा रही है। उन्होंने कहा कि मंदिर के अंदर किसी भी तरह से सोना नहीं लगाने देना चाहिए और यदि जबरजस्ती सोने की परत को लगाया जाता है तो इसका बड़ा विरोध किया जाएगा।
बता दें कि केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में पहले से ही चांदी की परत विराजमान है। अब मंदिर के चारों दीवारों और चारों स्तंभों पर सोने की परत लगाई जा रही है। गर्भगृह में जो चांदी की परत पहले से लगाई गई है उसका वजन करीब 230 किलो तक है। इसी तरह यहां लगने वाली सोने की परत का वजन 230 किलो तक होगा।
साल 2017 में एक भक्त ने यहां लगाई गई चांदी का दान किया था। गर्भगृह में मौजूद बाबा केदार का छत्र और जलहरी भी चांदी के हैं। दरअसल कुछ समय पहले महाराष्ट्र के एक यात्री केदारनाथ पहुंचे थे और उन्होंने चांदी के स्थान पर सोने की परत लगाने की इच्छा जाहिर की थी।
प्रमुख बात ये है कि इस पर बदरी केदार मंदिर समिति ने भी हामी भर दी। समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इसके लिए बकायदा शासन से अनुमति मांगी। मंदिर के भीतर चांदी की परत उतारने के बाद ट्रायल के रूप में तांबे की परत लगाई जा रही हैं।
सबसे पहले तांबे की परतों को लगाकर डिजाइन, फिटिंग आदि का कार्य किया जाएगा. जैसे ही यह तांबे की परतें फिट बैठेंगी, उसके बाद सोने की परतें लगाई जाएंगी। दूसरी तरफ जैसे ही मंदिर के भीतर सोने की परतें लगाए जाने की बात केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों को पता लगी तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इस सोने की परत को लगाने के लिए मंदिर के भीतर ड्रिल मशीन से भी छेद किए जा रहे हैं। मंदिर की दीवारों पर छेद होने से तीर्थ पुरोहितों में भारी रोष है।
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने घोषणा कि मंदिर के भीतर किसी भी सूरत में सोने की परत नहीं लगाने दी जाएगी। सोने की परत लगाने जाने से मंदिर की पौराणिक परंपराओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। त्रिवेदी के अनुसार मंदिर के भीतर जो चार स्तंभ विराजमान हैं, उनमें भगवान का वास है। उनकी तीर्थ पुरोहित समाज की ओर से पूजा की जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि जबरन सोना मढ़ना सही नहीं है। मंदिर के भीतर किसी भी स्थान विशेष पर सोने की परत नहीं लगानी दी जाएगी। यदि जबरन सोने की परत लगाए जाने की कोशिश की जाती है तो इसका घोर विरोध किया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो तीर्थ पुरोहित विरोध में भूख हड़ताल करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ मोक्ष धाम है। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित ने जब कलियुग को बंदी बनाया था तो कलियुग ने अपने लिए सोने और चांदी स्थान को मांगा था। केदारनाथ मोक्ष धाम है और इस मोक्ष धाम के गर्भगृह में यदि कलियुग को बैठाया जाएगा तो कैसे यहां आने वाले यात्रियों को मोक्ष धाम की प्राप्ति होगी ? इस मोक्ष धाम के दरवाजे पर भी चांदी लगाया गया है, जो कि पूर्ण रूप से गलत है। ये हमारे सनातन धर्म के खिलाफ है। इस मुद्दे पर सभी हिंदुओं को एकजुट होकर मंदिर के अंदर लगाए जाने वाले सोने का विरोध करना होगा।
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