भारत सरकार ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) में सुधारने के लिए पाकिस्तान को नोटिस दिया है सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान की गलत कार्रवाइयों ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर उल्टा प्रभाव डाला है और भारत को IWT के संशोधन के लिए नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है।
जैसा की बता दें की भारत सरकार ने कहा है कि आपसी रूप से एक मध्यस्थ रास्ता खोजने के लिए भारत द्वारा बार-बार कोशिश करने के बाद भी , पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने से मना कर दिया है । सरकार ने कहा कि इन कारणों के चलते अब पाक को नोटिस जारी किया गया है।
तो बताया जा रहा है की संशोधन के लिए भारत सरकार द्वारा जारी नोटिस का मुख्य कारण ये है की पाकिस्तान को IWT के विरोध को सुधारने के लिए 90 दिनों के अंदर अंतर-सरकारी वार्तालाप में हिस्सा लेने का मौका दिया गया है , बता दें कि यह वार्तालाप पिछले 62 वर्षों में तय किए गए समझौते को शामिल करने के लिए IWT में भी संशोधन करेगी।
बता दे की भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संथि पर हस्ताक्षर किए थे संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को दिया गया. वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया. इस समझौते में विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता है. समझौते के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मुलाकात करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है. हालांकि, पाकिस्तान ने पिछली पांच बैठकों अनुसार के इस मुद्दे पर चर्चा करने से ही मना कर दिया ।
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