ख़बरों को बरतने वाले पत्रकारों के लिए शुक्रवार की सुबह बेहद मनहूस साबित हुई। सुबह होते ही ख़बर आई कि वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान का हार्ट अटैक से निधन हो गया। इसके बाद पत्रकारिता जगत में जैसे एक गहरा सूनापन छा गया।
कमाल खान विगत 25-30 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय थे। प्रिंट मीडिया में कुछ साल काम करने के बाद कमाल एनडीटीवी न्यूज चैनल से जुड़ गए। एनडीटीवी में रहते हुए उन्होंने देश-दुनिया को लेकर कई रिपोर्ट किया।
कमाल खान की मौत के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उनके परिवार को ढ़ाढस दिया और उनकी आत्मा की शांति की कामना की।
एनडीटीवी में कमाल के साथी रहे रविश कुमार ने ट्वीटर पर लिखा, फिर कोई दूसरा कमाल ख़ान नहीं होगा भारत की पत्रकारिता आज तहज़ीब से वीरान हो गई है। वो लखनऊ आज ख़ाली हो गया जिसकी आवाज़ कमाल ख़ान के शब्दों से खनकती थी। NDTV परिवार आज ग़मगीन है। कमाल के चाहने वाले करोड़ों दर्शकों का दुख ज्वार बन कर उमड़ रहा है। अलविदा कमाल सर।
इसके साथ ही भारत समाचार के बृजेश मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा, मशहूर पत्रकार कमाल खान जी का निधन बेहद कष्टप्रद है। पत्रकारिता जगत के लिए बहुत क्षति है उनका ना रहना। देर रात तक वो दायित्वों का निर्वहन करते रहे। सबसे वरिष्ठ होने के बाद भी फील्ड रिपोर्टिंग कभी नही छोड़ी। खबर पेश करने का उनका अंदाज देशभर में पत्रकारों को प्रेरित करता था। अलविदा।
न्यूज़ 18 उर्दू के संपादक तहसीन मुन्नवर कमाल खान के बारे में बताते हैं। तहसीन मुन्नवर के शब्दों में, ‘साल याद नहीं आ रहा लेकिन इतना याद है वह (कमाल खान) एनडीटीवी की ओर से हज कवर करने गए हुए थे। उनकी वहां से आने वाली रिपोर्ट देखने से ताल्लुक़ रखती थीं। उसी दौरान उनसे फ़ोन पर बात हुई। शायद उनका फ़ोन आया था किसी बारे में पूछने के लिए तो मैं ने उनकी तारीफ़ के साथ साथ कहा कि इसी बहाने उन्हें हज करने का मौक़ा मिल गया है। कहने लगे मैं हज नहीं कर रहा हूं। मैं ने कहा उमरा तो करेगें। कहने लगे वह भी नहीं। मुझे हैरत हुई कि इतना अच्छा मौक़ा मिला है वह जाने कैसे दे सकते हैं। कहने लगे कि मुझे मेरे चैनल ने इतना पैसा खर्च कर के यहां हज करने के लिए नहीं बल्कि हज को कवर करने के लिए भेजा है। मैं ने कहा क्या दोनों साथ साथ नहीं हो सकते? किसी का नाम लिया कि वह यह झूठ बोल कर कि सिगनल नहीं आरहे हैं यही करने गए हैं।
मुझ से इतना बड़ा झूठ नहीं बोला जाएगा, और वह भी अल्लाह के घर में। मैं ने कहा हज तो हो जाएगा। कहने लगे कि एक हिंदू प्रणय रॉय ने मुझ पर भरोसा कर के कि मैं उसके चैनल के लिए हज की कवरेज करुंगा, मुझ पर कई लाख रुपए ख़र्च किए हैं और मैं यहां आकर यहां आने का मक़सद भूल कर कुछ और ही करने लगूं तो यह ग़लत होगा।
अल्लाह कैसे मेरा हज क़बूल करेगा? हां इंशाअल्ला जब भी मौक़ा मिला अपने ख़र्च पर हज करूंगा और यही इस्लाम कहता भी है। उनकी बात सुन कर हमें खुद से ही उस समय शर्म सी महसूस हुई क्योंकि हम उस दौरान ऑफिशल डेलिगेशन में शामिल होने के लिए कोशिश कर रहे थे। कमाल ख़ान से बात करने के बाद हम ने जिन से इसके लिए कहा था और जो कि लगभग हो ही जाने वाला था, अपना नाम वापस लेने के लिए कहा और कमाल ख़ान का जुमला दोहरा दिया कि अपने पास होगा तो उसी से हज करेगें।
हमें नहीं मालूम इतने पास जा के भी अपने उसूलों के लिए जो शख़्स इतना मज़बूत रहा हो, क्या उसका हज न होकर भी हो न गया होगा। अल्लाह बेहतरीन अज्र देने वाला है। लेकिन हम तब से उन्हें हाजी मानते हैं’।
कमाल खान की रिपोर्टिंग के लोग कायल थे। उनके बोलने का अंदाज, कहानी की तरह ख़बरों को बोल देने का हुनर की वजह से ही वे ‘कमाल’ बन पाए।
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