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केंद्र के खिलाफ सोनिया गांधी ने 15 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई, लेकिन आप और बसपा की बारी नहीं आई

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नई दिल्ली। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार (आज) केंद्र के खिलाफ विपक्षी एकता दिखाने के लिए एक बैठक बुलाई है। जिसमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,  तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल होंगे। कुल 15 विपक्षी पार्टियां इस बैठक में शामिल होंगी।

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वर्चुअल होगी बैठक

लेकिन इसमें गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और यूपी की बहुजन समाजवादी पार्टी को इस बैठक में शामिल होने का आमंत्रण नहीं भेजा गया है। यह बैठक शाम पांच बजे वर्चुअली तौर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये आयोजित की जाएगी।

दरअसल कुछ दिनों पहले ममता बनर्जी दिल्ली दौरे पर आईं थीं। इस दौरे के दौरान उन्होंने सोनिया गांधी समेत कई अन्य नेताओं से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का उद्देश्य केंद्र को यह बताना था कि विपक्ष इतना कमजोर नहीं है, जितना सरकार समझती है। ममता-सोनिया की मुलाकात से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि विपक्षी दल अगामी लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने की योजना बना रहे हैं।

बैठक में होगा केंद्र का आलोचनात्मक मूल्यांकन

आज (शुक्रवार) को होने वाली बैठक का मुख्य उद्देश्य विपक्षी एकता को और मजबूत बनाना है। बैठक में संयुक्त बयान या प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है। इस प्रस्ताव में कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार के सकारात्मक और नकारात्मक प्रदर्शन का आलोचनात्मक मूल्यांकन होगा। उसके अलावा बीते दिनों में मानसून सत्र के दौरान सदन में पेगासस कांड, किसान आंदोलन, महंगाई, संसद का न चल पाना और अन्य कई मुद्दे भी शामिल किए जाएंगे।

एक माह चले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे विपक्ष का नेतृत्व रहे थे, जिसमें विपक्ष का एक नया चेहरा देखने को मिला है। वहीं दोनों सदनों में विपक्ष को एकत्रित करने में राहुल गांधी की उपस्थिति का भी बड़ा योगदान रहा है।

कपिल सिब्बल की बैठक का काउंटर है यह बैठक

इससे पहले 9 अगस्त को कांग्रेस के ही नेता कपिल सिब्बल ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं को रात के खाने पर आमंत्रित किया था। लेकिन इसमें गांधी परिवार के सदस्यों को न्यौता नहीं भेजा गया था। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली यह बैठक कपिल सिब्बल की बैठक का काउंटर है।

तमाम मुद्दों को लेकर विपक्ष ने जिस प्रकार सरकार को घेरा था। इस कारण भी केंद्र की विपक्षी पार्टियों में समीपता बढ़ी है।

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