New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय न्याय संहिता 2023 के तीनों बिलों को मंजूरी दे दी है। साथ ही, तीनों विधेयकों को कानून बन गए हैं। गृह मंत्रालय जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर सकता है। अंग्रेजों के शासन काल से चले आ रहे, लगभग 150 वर्ष पुराने कानूनों में मोदी सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को सदन में रखा गया था।
इन विधेयकों को अगस्त में हुए संसद के मानसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में रखा था। बाद में तीनों बिलों को रिव्यू के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया था। पिछले सप्ताह विधेयकों का नया संस्करण लाया गया। तीन नए बिलों को पेश करने के दौरान अमित शाह ने कहा कि इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर विचार करने का उद्देश्य आपराधिक कानूनों में सुधार करना है।
IPC में फिलहाल 511 धाराएं हैं। इसके स्थान पर भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद इसमें 356 धाराएं रह जाएंगी। यानी 175 धाराएं बदल जाएंगी। भारतीय न्याय संहिता में 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 22 धाराएं हटाई गई हैं। इसी तरह CrPC में 533 धाराएं रह जाएंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई जुड़ेंगी, 9 खत्म होंगी। सुनवाई तक पूछताछ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था।
सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम तीन साल के भीतर देना होगा। देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इनमें से 4.44 करोड़ मामले ट्रायल कोर्ट में हैं।
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