करीब डेढ़ साल से लापता सैनिक बेटे की तलाश में फावड़ा लेकर निकलता था पिता, खोद डालीं कई कब्रें

जम्मू-कश्मीर। पिछले साल 2 अगस्त को आतंकियों द्वारा अगवा हुए शहीद जवान शाकिर मंसूर को गुरूवार के दिन सेना ने उनके गांव में श्रद्धांजलि दी। पुलिस को शाकिर मंसूर का शव 13 महीने बाद बुधवार को कुलगाम जिले में प्राप्त हुआ था। बताया जा रहा है कि 2 अगस्त 2019 में शाकिर का आतंकियों ने अपहरण कर लिया था।
शहीद का शव तिरपाल में लिपटा मिला
पुलिस के मुताबिक, उन्हें जानकारी मिली थी कि ‘मोहम्मदपोरा इलाके में तिरपाल में लिपटा हुआ एक शव पड़ा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने शव के शाकिर का होने की आशंका जताई।‘
शव की शिनाख्त के लिए जब पुलिस ने शाकिर के पिता मंजूर अहमद को बुलाया तो उन्होंने शव के अपने बेटे का ही होने का दावा किया।
शव की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उसे कब्जे में लेकर जांच के लिए भेज दिया था।
कुलग्राम में जली हुई मिली शहीद की गाड़ी
शहीद के परिजनों ने बताया कि दो अगस्त 2020 की रात में शाकिर घर से अपनी गाड़ी लेकर किसी काम से बाहर गया था, लेकिन फिर वापस नहीं लौटा। शाकिर के घरवालों ने उसे रात भर ढूंढने की कोशिश की। लेकिन उन्हें शाकिर की कोई जानकारी नहीं मिली। हालांकि उसकी गाड़ी कुलगाम में एक जगह पर जली प्राप्त हुई थी।
पागलों जैसा बर्ताव करते थे शहीद के पिता
शाकिर के परिजनों का कहना है कि बेटे के लापता होने के बाद पिता मंजूर की हालत पागलों जैसी हो गई थी। उसे कहीं से भी अज्ञात शव के होने की ख़बर मिलती, बेटे को खोजने के लिए वह वहाँ पहुंच जाता।
यही नहीं वह कई बार हाथ में फावड़ा लेकर कब्रिस्तानों में गया और कई अज्ञात लोगों की कब्रें खोद डालीं, लेकिन हर बार उसे खाली हाथ लौटना पड़ा।
बेटे की मौत की पुष्टि के बाद एक बार फिर से उसके घर में मातम छा गया है। पिता मंजूर दुखी होकर बताते हैं कि पिछले एक साल से उनके घर में रोज मातम होता था। हर रोज सुबह-शाम घर में शाकिर की ही बात होती थी।