नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय के हवाले से सुप्रीम कोर्ट में ये बताया है कि महिलाओं को नेशनल डिफ़ेंस एकेडमी (एनडीए) में दाख़िला लेने के लिए ज़रूरी सभी इंतज़ाम अगले साल मई तक पूरे हो जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया था। जिसके आधार पर उन्होंने बताया है कि 2022 के बैच के लिए केंद्रीय लोक सेवा आयोग के एनडीए की प्रवेश परीक्षा का नोटिफ़िकेशन जारी होने से पहले सारी ज़रूरी तैयारियाँ पूरी कर ली जाएंगी।
बीबीसी के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक हलफ़नामे में लिखा है, “अतिरिक्त वॉशरूम, हॉस्टल और केबिन बनाने, नए प्रशिक्षुओं के लिए पाठ्यक्रम और अन्य चीज़ें तैयार करने में कुछ समय लगेगा।”
हलफ़नामे में यह जानकारी भी दी गई है कि सरंचनागत ढाँचे और व्यवस्था में बदलाव के लिए विशेषज्ञों का एक समूह भी बनाया गया है जो महिलाओं के एनडीए में प्रवेश को लेकर अपने सुझाव देगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष अगस्त में एनडीए में महिलाओं की एंट्री का रास्ता साफ़ किया था।
अब तक एनडीए में केवल पुरुष ही प्रशिक्षण लेते रहे हैं और महिलाओं को इसकी प्रवेश परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं थी।
कोर्ट ने महिलाओं को एनडीए की परीक्षा में न शामिल होने की केंद्र सरकार की “पुरानी मानसिकता” की आलोचना की थी।
कोर्ट ने महिलाओं के NDA में शामिल होने को लेकर कहा था कि यह एक नीतिगत फ़ैसला है जो लैंगिक असमानता के आधार पर बना है।
दरअसल, महिलाओं के एनडीए में प्रवेश की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह फ़ैसला सुनाया था।
NDA में प्रशिक्षण के लिए 12वीं कक्षा के बाद एक कठिन राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा को पास करना बेहद जरूरी होता है।
जिसमें सफल होने के बाद कैडेट्स को सेना में अफसर रैंक के लिए तैयार किया जाता है।
इसके अलावा परीक्षा के लिए केवल वही छात्र आवेदन कर सकते हैं जो 12वीं में गणित और विज्ञान की पढ़ाई कर रहे हैं।
अब तक महिलाएं सेना में डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, संकेतक, एडमिनिस्ट्रेटर और वकील के तौर पर काम करती रही हैं।
साथ ही जंग के मैदान पर सैनिकों का इलाज करने के अलावा विस्फोटों को हैंडल करना, माइनों को खोजने के साथ निष्क्रिय किया है। इसके अलावा संचार के लिए लाइने भी बिछाती हैं।
जानकारों का मानना है कि लड़ाई के अलावा महिलाओं ने सेना में लगभग हर जगह योगदान दिया है। केवल इंफेंटरी और बंख़्तबंद सेवा से ही दूर रखा गया है।
इससे पहले साल 2019 में सरकार ने महिलाओं को स्थायी कमिशन देने की इजाज़त दी थी लेकिन उम्रदराज़ महिलाओं की शारीरिक परेशानियों को देखते हुए सरकार ने कहा था कि ये केवल उन महिला अफ़सरों पर लागू होगा जिन्होंने 14 साल से कम की सेवा दी है।
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