Living Will: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से जवाब मांगा, जिसमें जीवित वसीयत को मान्यता देने के लिए एक सिस्टम की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की बेंच ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और बीएमसी को जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई छह सप्ताह के बाद तय की।
लिविंग वसीयत उन चिकित्सीय उपचारों के बारे में बताएगी जिन्हें कोई व्यक्ति खुद को जीवित रखने के लिए पसंद करेगा, साथ ही दर्द प्रबंधन या अंग दान जैसे चिकित्सीय निर्णयों की प्राथमिकताओं के बारे में भी बताएगा। याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 24 जनवरी को एक आदेश पारित कर एक सिस्टम बनाने का निर्देश दिया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एडवांस्ड मेडिकल डायरेक्टिव्स (एएमडी) या जीवित वसीयत निष्पादित करने वाले नागरिक सम्मान के साथ मर सकें।
यह वास्तव में एक दस्तावेज है, जिसमें कोई व्यक्ति यह बताता है कि वह भविष्य में यदि कोई गंभीर बीमारी हो तो इस हालत में किस तरह का इलाज कराना चाहता है। यह वास्तव में इसलिए तैयार किया जाता है, जिससे गंभीर बीमारी की हालत में अगर व्यक्ति खुद फैसले लेने की हालत में नहीं रहे तो पहले से तैयार दस्तावेज के हिसाब से उसके बारे में निर्णय लिया जा सके।
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