तुर्की कोयला खदान विस्फोट: 40 लोगों की मौत, कई लोग घायल, राहत कार्य जारी

तुर्की में शुक्रवार को एक कोयला खदान के अंदर विस्फोट हो गया जिसमें 40 लोगों की मौत हो गई और कम से कम 17 लोग घायल भी हो गए हैं। इन 17 लोगों में से आठ लोग ऐसे भी हैं जो गंभीर रूप से जख्मी भी हो गए हैं। वहीं इस हादसे में देश के गृह मंत्री सुलेमान सोयलू ने जानकारी देते हुए कहा है कि कई लोग अभी भी खदान में फंसे हुए हैं, जिन्हें लगातार बचाव अभियान के दौरान बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी एएफएडी ने कहा कि पड़ोसी प्रांतों सहित क्षेत्र से बुलाए गए बचाव दलों को मौके पर भेजा गया है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि राष्ट्रपति रजब तैयप अर्दोआन ने दक्षिण-पूर्व तुर्की की अपनी पहले से निर्धारित यात्रा को रद्द कर दिया है।
यह विस्फोट काला सागर के तटीय प्रांत बार्टिन के अमासरा शहर में सरकारी स्वामित्व वाली टीटीके अमासरा मुसेसे मुदुर्लुगु खदान में हुआ। ऊर्जा मंत्री फातिह डोनमेज ने कहा कि विस्फोट संभवत कोयला खदानों में पाई जाने वाली ज्वलनशील गैसों के कारण हुआ होगा।
बचाव अभियान के दौरान समन्वय के लिए अमासरा पहुंचे गृह मंत्री सोयलू ने संवाददाताओं से कहा कि विस्फोट के समय खदान के अंदर करीब 110 लोग मौजूद थे। मंत्री ने कहा कि विस्फोट के बाद ज्यादातर मजदूर खदान से बाहर आने में सफल रहे। परंतु इसके बावजूद करीब 50 लोग खदान के उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में ही फंसे रह गए।
तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी एएफएडी (AFAD) ने कहा कि पड़ोसी प्रांतों सहित क्षेत्र से बुलाए गए बचाव दलों को मौके पर भेजा गया है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने दक्षिण-पूर्व तुर्की की अपनी पहले से निर्धारित यात्रा को रद्द कर दिया है। वह अब अमासरा जाएंगे।
निजी डीएचए समाचार एजेंसी ने गवर्नर अर्सलान को घटना के बारे में जानकारी दे रहे एक मजदूर के हवाले से बताया कि वह अपने बलबूते पर कैसे खदान से बाहर आया। उसने बताया कि वह कितना ‘दबाव’ महसूस कर रहा था, इसके अलावा धूल और मलबे के कारण कुछ भी ठीक ढंग से दिखाई नहीं दे रहा था
डीएचए ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि खदान में फंसे हुए दोस्तों या सहकर्मियों और परिजनों के कुशल होने की खबर के लिए कई लोग मौके पर पहुंचे हुए हैं। बता दें कि इससे पहले तुर्की के सोमा शहर की खदान में सबसे बड़ा हादसा हुआ था, इसमें आग लगने की वजह से करीब 301 लोगों की मौत हो गई थी।