भारत में कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट का फैलाव बहुत तेजी से हो रहा है। ऐसे में कोविड-19 का इलाज और उससे जुड़ी कई जानकारियों को जानना जरूरी है। भारत सरकार के दिशा-निर्दशों के साथ हम जानेंगे कोवि़ड-19 के ट्रीटमेंट से संबंधित कई सवालों का जवाब।
कोविड-19 से संक्रमित होने वाले बच्चों में आम तौर पर हल्के ठंड जैसे लक्षण होते हैं। बच्चों को हल्के बुखार, बहती नाक और खांसी जैसी समस्याएं भी होती हैं। कुछ बच्चों में उल्टी और दस्त के भी लक्षण देखे गए हैं।
ज्यादातर लोगों में केवल हल्के लक्षण होते हैं और घर पर ही देखभाल की जाए तो वह ठीक हो सकते हैं। लेकिन कुछ लोग बहुत बीमार हो सकते हैं और उन्हें अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होती है। अस्पताल में भर्ती लोगों का चिकित्सीय टीम उनके फेफड़ों की निगरानी कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन मौजूद रहे।
जी हां बिलकुल! आपके अंदर कोरोना का वायरस मौजूद है या नहीं, इसका परीक्षण सिर्फ लैब में ही हो सकता है। कई लोगों में कोरोना के लक्षण भी नहीं नजर आते हैं लेकिन वो कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। CDC से कोविड-19 के परीक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त किया जा सकता है।
कोविड-19 से बचाव सिर्फ वैक्सीन और कुछ जरूरी सावधानी रखकर ही किया जा सकता है। केंद्र सरकार इस बात पर जोर देती है कि सभी को वैक्सीन की दो डोज लेनी चाहिए और दोनों डोज एक ही वैक्सीन की हो।
कोरोना वायरस होने पर व्यक्ति में कोई विशिष्ट बुखार सीमा नहीं है। बुखार आना कोविड-19 के लिए कोई विश्वसनीय लक्षण नहीं है। इससे संबंधित अन्य लक्षणों पर भी विचार करना चाहिए।
इसका सीधा जवाब है नहीं। वैक्सीन का पहला डोज आपको पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं करता है। वैक्सीन का पूरा प्रभाव दोनों इंजेक्शन लगने के बाद ही सामने आता है।
कोरोना वायरस खांसी और छींक के छोटे-छोटे कणों से फैलता है। यह हाथ मिलाने और अपने कपड़ों और वस्तुओं को साझा करने से भी फैल सकता है। इसलिए कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सोशल दूरी या देह की दूरी जरूरी है। यही कोविड-19 का उत्तम इलाज माना जा सकता है।
मास्क का इस्तेमाल: देखभाल करने वाले को ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनना चाहिए। बीमार व्यक्ति के साथ एक ही कमरे में होने पर N-95 मास्क पर भी विचार किया जा सकता है।
हाथ की स्वच्छता: बीमार व्यक्ति या रोगी के तत्काल संपर्क में आने के बाद हाथ को अच्छी तरह से धोना चाहिए और सेनेटाइज करना चाहिए।
रोगी / रोगी के वातावरण के संपर्क में आना: रोगी के शरीर के तरल पदार्थ और श्वसन स्राव के सीधे संपर्क से बचें। रोगी की सेवा करते समय हमेशा डिस्पोजेबल दस्ताने का ही प्रयोग करें।
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