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The Kashmir Files Review: कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को बयां करती है, द कश्मीर फाइल्स

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जिस मिट्टी में जन्मे, जिस आंगन में बचपन गुजरा, उस जगह को आपको हमेशा के लिए छोड़ना पड़े तो कैसा महसूस होता है। इस दर्द का जिक्र जितना आसान लगता है, उसको सहना उतना ही मुश्किल और दर्दनाक होता है। द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) में 90 के दशक में घर से बेघर हो चुके कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को निर्देशक ने इस फिल्म में दर्शाया है।

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द कश्मीर फाइल्स फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। वो जिन्‍हें शरणार्थी कहा गया। फिल्‍म एक तर्क देती है कि यह सिर्फ एक पलायन नहीं था, बल्कि एक बर्बर नरसंहार था, जिसे राजनीतिक कारणों से दबा दिया गया।

वो स्वर्ग जो कहीं खो गया

कश्मीर वो स्वर्ग है, जो कहीं खो गया है। आतंकवाद, सीमा पर तनाव, मानवीय संकट, अलगाववादी आंदोलन और एक लड़ाई खुद के लिए। आज कश्‍मीर इसी में व्‍यस्‍त है। वो कश्‍मीर, जो कभी समृद्ध था, जहां एक साथ कई संस्कृतियां थीं। लेकिन अब यह विवादित क्षेत्र लगातार घटते-बढ़ते तनाव के बीच खुद को स्थिर करने के लिए जद्दोजहद में डूबा हुआ है। तीन घंटे से भी कम समय की इस फिल्‍म के बहाने सच्चाई तक पहुंचने की कोशिश की गई है। लेकिन पुरानी कहावत है कि हर सिक्‍के के दो पहलू होते हैं।

विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) ने फिल्‍म में बर्बर घटनाओं को दिखाने में कहीं भी संकोच नहीं किया है और न ही उस पर कोई फिल्‍टर डाला है, ताकि उसके प्रभाव को कम न किया जाए। ऐसे में हम पर्दे पर जो भी देखते हैं, वह बहुत ही गंभीर है और गहन भी। कहानी थोड़ी उलझी हुई जरूर है, क्‍योंकि इसमें सीधी सपाट बात न होकर, उसने कहा-इसने कहा वाली बात ज्‍यादा है। ऐसे में आप फिल्‍म के कैरेक्‍टर से जुड़ नहीं पाते हैं।

फिल्म में कई मुद्दों को समेटने की कोशिश की गई है। इसमें जेएनयू की बात है। मीडिया की तुलना आतंकवादियों की रखैल से की गई है। विदेशी मीडिया पर सिलेक्‍ट‍िव रिपोर्टिंग का आरोप लगाया गया है। भारतीय सेना, राजनीतिक युद्ध, अनुच्छेद 370 और पौराणिक कथाओं से लेकर कश्मीर के प्राचीन इतिहास तक, फिल्‍म में सब कुछ एक साथ दिखाया गया है।

इस फिल्म में दर्शन कुमार (Darshan Kumar), मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty), अनुपम खेर (Anupam kher), पल्लवी जोशी (Pallavi Joshi), चिन्मय मांडलेकर (Chinmay Mandlekar) और प्रकाश बेलवाडी (Prakash Belawadi) जैसे बड़े-बड़े कलाकारों ने बेहतरीन एक्टिंग की है। फिल्म में अनुपम खेर ने दिल दहला देने वाली परफॉर्मेस दी है। पर्दे पर कश्मीरों पंडितों का दर्द बया करते हुए उनका गला बैठ जाता है। वह अपने खोए हुए घर के लिए तरस रहे एक इंसान के रूप में बहतरीन एक्टिंग कर रहे हैं।

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