
Anil Ambani ED Raid : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप (RAAGA कंपनियां) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी कार्रवाई की है. 24 जुलाई को ED ने मुंबई समेत देशभर में 35 जगहों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई CBI की दो FIR के आधार पर शुरू की गई है. वहीं इस खबर के सामने आते ही देश की वित्तीय दुनिया में हलचल मच गई है और सभी की नजर अब इस बड़ी जांच पर टिकी हुई हैं.
जानें क्या है आरोप?
दरअसल ED की शुरुआती जांच में सामने आया कि एक सुनियोजित साजिश के तहत बैंकों, निवेशकों, शेयरहोल्डर्स और आम जनता के पैसों का गलत इस्तेमाल किया गया. जिसके चलते संभावना जताई गई कि :
लोन की रकम को ग्रुप की दूसरी कंपनियों और शेल कंपनियों में ट्रांसफर किया गया.
एवरग्रीनिंग की गई – यानी पुराने लोन को नए लोन से छुपाया गया.
यस बैंक के प्रमोटर सहित कुछ बैंक अधिकारियों को घूस दिए जाने का शक है.
SEBI और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट
इतना ही नहीं इस जांच में ED को SEBI, NFRA, नेशनल हाउसिंग बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई है. SEBI ने RHFL (Reliance Home Finance Ltd) से जुड़ी रिपोर्ट में बताया कि :
- कंपनी ने एक साल में कॉर्पोरेट लोन को 3,742 करोड़ से बढ़ाकर 8,670 करोड़ कर दिया.
- इस दौरान कई नियमों की अनदेखी और प्रक्रियागत गड़बड़ियां सामने आईं.
कौन-कौन है घेरे में?
बता दें कि इस मामले में 50 कंपनियां और 25 से अधिक व्यक्तियों के नाम शामिल हैं, जिन पर ED ने नजर बनाकर रखी है. सभी ठिकानों पर यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 17 के तहत की गई है.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में सरकार का सख्त रुख
गौरतलब है कि ED की ये कार्रवाई अनिल अंबानी ग्रुप के लिए एक बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है. हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी जांचो में से ये अब तक की सबसे बड़ी जांच मानी जा रही है. जिसके चलते साफ दिखाई दे रहा है कि सरकार अब पैसों की हेराफेरी और बैंक घोटालों पर बिल्कुल सख्त रुख अपना रही है. जो भी नियमों से खेल करेगा, उस पर अब कड़ी कार्रवाई होना तय है.
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