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दुबई के साथ-साथ अंदाजे ए बयां को हिंदुस्तान में भी मिल रहा है लोगों का प्यार: शाज़िया ऊर्फी किदवई

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साहित्य के बिना जाए तो क्या जीए, ये कहना है उन दो लोगों का जिन्होनें साहित्य को एक ऐसे मुल्क में पहचान दिलाई जिस मुल्क में ये नामुमकिन लगता था लेकिन आज दुनिया के अज़ीम ओ शान मुशायरा दुबई में होते है और जिनका श्रेय रेहान सिद्दिकी और शाज़िया किदवई (Shazia Urfi Kidwai) को जाता है। जहां आज लोगों में सिर्फ अपने-अपने पेशों में रहकर वही तक सीमित रह जाना आम बात है। लेकिन इन सबसे हटकर काम कर रही है दुबई में पिछले बीस साल से रहने वाली शाज़िया ऊर्फी किदवई।

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साहित्य को लेकर उन्होनें हिंदुस्तान के साथ-साथ दुबई में जिस अंदाज से जिंदा रखा वो वाकई काबिले तारीफ है। साल 2001 से अभी तक साल में दो बार वो अंदाजे ए बयां के नाम से मुशायरा का आयोजन यहां करती है और इनके साथ इस काम में साथ आ रहे है रेहान सिद्दिकी जो यहां के नामचीन उधमी है और इस मुशायरे में देश और दुनिया के मशहूर और मारुफ शायर यहां आते है।

शाज़िया ने साहित्य को लेकर दुबई में जिस अंदाज से जिंदा रखा वो वाकई काबिले तारीफ

खास बात ये है कि इस पूरे आयोजन में यूएई हुकूमत भी इनका पूरा साथ देती है। बकौल रेहान सिद्दकी और शाज़िया किदवई (Shazia Urfi Kidwai) वो यूएई के साथ-साथ अब अपने मुल्क में भी इस तरह के आयोजन क रहे ताकि हमारे मुल्क की गंगा जमुना तहजॉब कायम रहे। हाल ही में उन्होनें लखनऊ में इसी तरह का आयोजन भी उर्दू एकेडमी के माध्यम से किया।

अप्पी के सेंटर से मिल रही है लोगों की दुआएं

इसके साथ-साथ शाज़िया किदवई (Shazia Urfi Kidwai) बताती है वो साल 2010 से नॉर्थ इंडिया के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब लड़कियों को पढ़ाने का काम कर रही है जिसकी फंडिंग खुद उनके द्वारा की जाती है जब उन्होनें ये शुरुआत की तो उस वक्त 12 से 26 वर्ष की 37 लड़कियों को उन्होनें अप्पी का सेंटर खोलकर वहां कुछ रखकर उनको पढ़ाई कराई। अप्पी के सेंटर में लगातार बच्चे आ रहे है जिससे उनको बहुत खुशी होती है इसके साथ-साथ उनका कहना है वो सरकार के साथ मिलकर इस और ज्यादा काम करना चाहती है।

लगातार कर रही है साहित्य में काम

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में जन्मी शाज़िया किदवई की शुरुआत की पढ़ाई बाराबंकी में हुई। उसके बाद उन्होनें बैकिंग की पढ़ाई मुंबई यूनिवर्सिटी से की औऱ लंबे समय तक दुबई की बैंकिंग इंडस्ट्री में अच्छे ओहदे पर रही। अभी लगातार वो साहित्य में काम कर रही है और उनका कहना है जो भी अच्छे पढ़ने वाले बच्चे है और साहित्य में आना चाहते है, उनको प्लेटफार्म देने का काम भी उनके द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में उन्होनें लखनऊ से ये शुरुआत की और वहां देश के अलग-अलग हिस्सों में 5 लोगों की चयन किया गया। जिनको जल्दी ही दुबई में होने वाले मुशायरा में बुलाकर उनको वहां वो प्लेटफार्म दिया जाएगा। जिसके लिए हर कोई उम्मीद लगाए बैठा हैता है।

दुबई में होने वाले सफल मुशायरे इनकी कामयाबी का सुबूत

आपको बता दें अंदाज ए बयां की शुरुआत रेहान सिद्दकी और शाज़िया किदवई के द्वारा 2001 में दुबई में की गई उस वक्त कुछ दिक्कतें जरुर आई लेकिन आज अंदाज ए बयां को पूरी दुनिया में लोग जानते है और दुबई में होने वाले सफल मुशायरे इनकी कामयाबी का सुबूत है। रेहान बताते है कि आने वाले दिनों में वो इस तरह के आयोजन यूएसए और यूके में भी करने जा रहे है।

आदिल पाशा– हिन्दी ख़बर दुबई यूएई

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