नई दिल्ली: लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल (Lok Sabha MP Mohammad Faizal) की लोक सभा सदस्यता बहाल हो गई है। फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए जाने के साथ 10 साल की कैद की सजा मिलने के बाद जनवरी 2023 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (ई ) के प्रावधानों एवं जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 8 के तहत लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था। लेकिन हाई कोर्ट द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाने का हवाला देते हुए अब उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई है।
लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल करने के संबंध में जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है की केरल हाई कोर्ट द्वारा 25 जनवरी को पारित आदेश को मद्देनजर रखते हुए मोहम्मद फैजल की लोक सभा सदस्यता को बहाल किया जाता है।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और मोहम्मद फैजल के मामले की तुलना के लिए हमें एनसीपी सांसद की पूरी प्रक्रिया को पहले समझना होगा कि उनके साथ क्या हुआ और उन्होंने किन कानूनी प्रक्रियाओं के जरिए अपनी सदस्यता वापस पा ली है। आइए इसे तारीखों के आधार पर सिलसिलेवार देखते और समझते हैं।
इसके बाद लगातार मोहम्मद फैजल ने कई ज्ञापन दिए थे, लेकिन लोकसभा सदस्यता जाने के 13 जनवरी के नोटिफिकेशन को वापस नहीं लिया गया था। इसके बाद इस मामले में वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Advocate Abhishek Manu Singhvi) की दलील के आधार पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (Justice P S Narasimha) और जे बी पारदीवाला (J B Pardiwala) की पीठ उनके मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गई थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई औऱ इसके ठीक एक दिन बाद सांसद की सदस्यता बहाल हो गई।
अब राहुल गांधी के मामले पर नजर डालें तो सूरत सेशंस कोर्ट ने ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है। अभी 30 दिन की मोहलत मिली हुई है। यह मोहलत बड़ी बात है। राहुल गांधी मामले मे एक्सपर्ट का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सांसद या विधायक सजा के सस्पेंड रहने और दोषी करार देने वाले फैसले पर रोक लगने के बाद ही अयोग्यता से बचा जा सकता है। दो साल या उससे ज्यादा की सजा पर कोई भी जन प्रतिनिधि अपने आप अयोग्य हो जाएगा।
अगर अपील करने पर सजा निलंबित होती है तो अयोग्यता भी अपने आप खत्म हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सजा काटने के बाद राहुल गांधी पर 2029 तक के राजनीतिक करियर पर ग्रहण है। ऐसे में बहुत कुछ इन्हीं 30 दिनों में निर्भर करने वाला है। सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस संसद से सड़क तक इस मामले की लड़ाई लड़ रही है देखना यह है कि अगर राहुल गांधी का मामला भी शीर्ष अदालतों की ओर बढ़ता है तो इसका क्या रुख देखने को मिलेगा।
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