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क्या है EWS आरक्षण, क्‍यों बताया जा रहा था इसे संविधान का उल्‍लंघन, जानें

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What is EWS Reservation: EWS यानि इकॉनमिकल वीकर सेक्शन कोटे में आरक्षण काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को वैध बताया है। ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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क्या है EWS आरक्षण

केंद्र सरकार ने 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण (EWS Reservation) देने की व्यवस्था की है। इकॉनमिकल वीकर सेक्शन (EWS) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी से लेकर शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। इसके तहत केवल जनरल कैटेगरी के गरीब लोगों को आरक्षण दिया जाएगा यानी वे जो एससी, एसटी, ओबीसी नहीं है जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख से कम है। गांव है तो जिसके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन है या 1000 वर्ग फुट का मकान है। जिस परिवार के पास अधिसूचित निगम में 100 वर्ग गज या गैर-अधिसूचित निगम में 200 वर्गगज का प्लॉट है।

Read Also:- EWS आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, देश में जारी रहेगा 10 फीसदी आरक्षण

क्‍यों बताया जा रहा था इसे संविधान का उल्‍लंघन

साल 2019 में लागू किए गए ईडब्ल्यूएस कोटा को तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके समेत कई याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान का उल्‍लंघन बताते हुए अदालत में चुनौती दी थी। EWS आरक्षण (EWS Reservation) को लेकर 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं। इन याचिकाओं में तर्क दिया गया था कि 10 फीसदी आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। एकेडमिशियन मोहन गोपाल ने इस मामले में 13 सितंबर को अपनी दलीलें रखीं थीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में EWS आरक्षण को ‘धोखाधड़ी’ बताया था। साथ ही इसे पिछले दरवाजे से आरक्षण की अवधारणा को नष्ट करने की कोशिश भी बताया था।

EWS आरक्षण पर 7 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

आज यानि 7 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण (EWS Reservation) प्रदान किया गया है। 3 न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि 2 न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दस फीसदी आरक्षण बना रहेगा।

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