दिल्ली: PM नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती सम्मेलन (PM on Natural Farming Conclave) में हिस्सा लिया। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा हर ग्राम पंचायत में 75 किसानों को इससे जुड़ने के मिशन में सूरत की सफलता देश के लिए उदाहरण होगी। डिजिटल भारत के लिए कहा जाता था कि यह टेक्नॉलोजी भारत के लिए नहीं है, लेकिन आज वही भारत इस क्षेत्र में वर्ल्ड लीडर बनकर उभरा है। 2 साल पहले लोग भारत के 100% वैक्सीनेशन आंकड़े को छूने की 5 से 10 साल की गणना करते थे लेकिन आज हम डेढ़ साल में 200 करोड़ वैक्सीनेशन के करीब पहुंचे हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत का एक ऋषि (PM on Natural Farming Conclave) इतना कुछ कर सकता है तो हम 130 करोड़ देशवासी सामूहिक संकल्पों से कौन सा लक्ष्य है जो पूरा नहीं कर सकते। लोगों को विश्वास नहीं होता था कि भारत में स्वच्छ भारत मिशन को सफल नहीं बनाया जा सकता लेकिन देश वासियों ने संकल्प किया और परिणाम दुनिया देख रही है। आज़ादी के 75 साल के निमित्त, देश ने ऐसे अनेक लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है, जो आने वाले समय में बड़े बदलावों का आधार बनेंगे। अमृतकाल में देश की गति-प्रगति का आधार सबका प्रयास की वो भावना है, जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है।
आगे उन्होनें कहा कि सूरत (PM on Natural Farming Conclave) में हर गांव पंचायत में 75 किसानों का चयन करने के लिए ग्राम समिति, तालुका समिति और ज़िला समिति बनाई गई। इस दौरान ट्रेनिंग, प्रोग्राम और वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। इतने कम समय में 550 से भी ज़्यादा पंचायतों से 40,000 से ज़्यादा किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। डिजिटल इंडिया मिशन की असाधारण सफलता भी उन लोगों को देश का जवाब है जो कहते थे गांव में बदलाव लाना आसान नहीं है। हमारे गांवों ने दिखा दिया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं।
PM बोले आज पूरी दुनिया सतत जीवन शैली (PM on Natural Farming Conclave) की बात कर रही है, शुद्ध जीवन शैली की बात कर रही है, यह एक क्षेत्र है जिधर भारत के पास हजारों सालों का ज्ञान और अनुभव है। हमने सदियों तक इस दिशा में विश्व का नेतृत्व किया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आज देश में गंगा के किनारे अलग से अभियान चलाया जा रहा है, कॉरिडोर बनाया जा रहा है। प्राकृतिक खेती की उपजों की बाज़ार में अलग से मांग होती है और उसकी कीमत भी ज़्यादा मिलती है। इस योजना के तहत 30,000 कल्सटर बनाए गए हैं। देश की करीब 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन कवर की जाएगी। हमने प्राकृतिक खेती के सांस्कृतिक, सामाजिक और इकोलॉजी से जुड़े प्रभावों को देखते हुए इसे नमामी गंगे परियोजना से भी जोड़ा है।
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