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भारतीय टीम का नेतृत्व कर रही एथलीट झिल्ली ने जीता सिल्वर

भारत के ग्रेटर नोएडा में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में चल रही कॉमनवेल्थ वेटलिफ़्टिंग चैंपियनशिप 2023 में 20 सदस्यीय भारतीय टीम ने पहले ही दिन मेडल्स का ताँता लगा दिया है।

इस साल की कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। इसी कड़ी में भारतीय वेटलिफ्टर झिल्ली डालाबेहेरा ने इसमें सिल्वर मेडल जीत लिया है।

उन्होंने 49kg सीनियर कैटेगरी में कुल 169kg वजन उठाकर यह मेडल अपने नाम किया। झिल्ली इस टूर्नामेंट में 20 सदस्यीय भारतीय दल का नेतृत्व भी कर रही हैं। झिल्ली डालाबेहेरा का यहाँ तक पहुंचने का सफर चुनौतियों से भरा रहा।

मैरी कॉम, सानिया मिर्ज़ा, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और साक्षी मलिक.. ये वो नाम हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत देश का नाम रौशन किया है। इसी लिस्ट में अब एक और नाम शामिल हो गया है झिल्ली डालाबेहेरा का!! जिन्होंने ग्रेटर नोएडा में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया और मेडल भी जीता है।

उनकी कामयाबी बड़ी है, और उसी तरह विशाल था झिल्ली डालाबेहेरा का यहाँ तक पहुंचने के सफ़र में मुसीबतों का पहाड़ भी। ओडिशा के नयागढ़ की रहने वाली झिल्ली एक बहुत ही गरीब परिवार से तालुक रखती हैं और कई चुनौतियां पर करके यहां तक पहुंची हैं।

उनके पिता बिस्वनाथ डालाबेहेरा एक किसान हैं। घर की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उनके पिता ने बचपन में उन्हें स्पोर्ट्स खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया; लेकिन उस समय 13 वर्षीय झिल्ली को उनकी माँ और बहन का साथ मिला। इसी समर्थन से उन्होंने स्पोर्ट्स में कदम रखा और खेल में करियर बनाने के लिए भुवनेश्वर जाकर कलिंगा स्टेडियम के हॉस्टल में रहने लगीं।

2016 में डालाबेहेरा ने यूथ नेशनल चैंपियन बनकर वेटलिफ्टिंग में अपनी एक छाप छोड़ी। इसके बाद उन्हें पहली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए मलेशिया जाने का मौका मिला। उन्होंने 2016 में जूनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में रजत और जूनियर नेशनल में कांस्य, 2017 में कॉमनवेल्थ जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण, 2018 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और उसी वर्ष एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

2019 में उनके करियर में एक नया मोड़ आया जब उन्होंने रिलायंस फाउंडेशन यूथ स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्राप्त की जिसके बाद उन्हें वित्तीय मदद के साथ-साथ स्पोर्ट्स से रिलेटेड मेडिकल सुविधाएं भी मिलीं। फिर उन्होंने 2019 में ही कॉमनवेल्थ सीनियर चैंपियनशिप और नेपाल में दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
आज वह भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए देश के लिए और मेडल जीत रही हैं और साबित कर रही हैं कि बेटियां किसी से कम नहीं!

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