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Jharkhand: महादेव और मां काली को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं की ‘अग्निपरीक्षा’

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Jharkhand News: वो अंगारों पर ऐसे चल रहे थे मानों राह में फूल बिछे हों. आस्था की शीतलता इतनी सघन थी कि अंगारों की तपिश उनके पांव को छू तक नहीं पा रही थी. यह हठयोग यूं ही नहीं किया जा रहा था. उसके लिए वो तीन दिनों तक बिना अन्न और फलाहार के थे. सिर्फ जल और शर्बत के माध्यम से तीन दिन तक वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपने शरीर को इस कठिन तप के लिए तैयार कर रहे थे. आस्था का यह पर्व था चरक पूजा. इस पूजा के अवसर पर यह अद्भुत नजारा था बासुकीनाथ स्थित चरकनाथ थान का.   

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बासुकीनाथ स्थित चरकनाथ थान में बड़ी ही धूमधाम के साथ चरक पूजा संपन्न हुई. चरक पूजा, भगवान शिव और माता काली को समर्पित है. इस पूजा में श्रद्धालु भोलेनाथ का आशीष पाने के लिए हठयोग करते हैं। चरक पूजा करने वाले श्रद्धालु तीन दिनों तक जल और शर्बत ही ग्रहण करते हैं. यहां तक कि श्रद्धालु इन तीन दिनों तक फलहार भी नहीं लेते है. पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं.

परंपरानुसार हर वर्ष चरक पूजा 13 अप्रैल से शुरू होकर 15 अप्रैल तक चलती है..चरकनाथ की पूजा से पूर्व श्रद्धालुओं द्वारा भिक्षाटन किया जाता है। सुख, समृद्धि एवं भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु श्रद्धालु पर्व के आखिरी दिन सुबह जलते हुए अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु नियम निष्ठा से इस पर्व को करता है उसे अग्नि छू तक नहीं पाती. नियम निष्ठा का पालन करके आचार विचारों में शुद्धि व संयम रखते हुए इस त्योहार को मनाया जाता है।

रिपोर्टः सुतिब्रो गोस्वामी, संवाददाता, दुमका, झारखंड

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