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स्पाइसजेट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत! 1323 करोड़ के झटके से बचे अजय सिंह – मारन की याचिका खारिज

अहम बातें एक नजर में:

SpiceJet Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कलानिधि मारन और KLL एयरवेज की याचिका खारिज कर दी है, उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें स्पाइसजेट से 1,323 करोड़ रुपये का हर्जाना पाने के उनके दावे को खारिज कर दिया है.

1323 करोड़ की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइसजेट के प्रमोटर विवाद मामले में कलानिधि मारन और केएएल की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है. कलानिधि मारन की केएएल ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें स्पाइसजेट से 1323 करोड़ रुपये का हर्जाना पाने के उनके दावे को खारिज कर दिया गया था. जिसपर जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. दिल्ली हाई कोर्ट ने केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की 1323 करोड़ रुपये से ज्यादा के मुआवजे वाली अपील को खारिज कर दिया था. यह अपील स्पाइसजेट के खिलाफ दायर की गई थी.

करोड़ो का हर्जाना पाने की कोशिश नाकाम

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अपील दायर करने में 55 दिन की और उसे फिर से दायर करने में 226 दिन की देरी हुई थी. कोर्ट ने इस देरी को माफ करने से इनकार करते हुए कहा था कि यह एक जानबूझकर लिया गया जोखिम था और उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कोर्ट और स्पाइसजेट से जानकारी छिपाई थी.

ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट पहले ही कर चुके हैं दावा खारिज

स्पाइसजेट की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि यह क्लेम पहले भी आर्बिटल ट्रिब्यूनल और दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से खारिज किया जा चुका था. यह पूरा मामला जनवरी 2015 से शुरू हुआ. उस समय स्पाइसजेट के पिछले मालिक अजय सिंह ने फाइनेंस से जुड़ी फाइनेंशियल दिक्कतों के कारण बंद पड़ी एयरलाइन को मारन से खरीदा था.

बता दें कि ट्रिब्यूनल ने स्पाइसजेट से 1323 करोड़ रुपए के हर्जाने की मारन की अपील को खारिज कर दिया था. फरवरी 2015 में सन नेटवर्क के मारन और उनकी निवेश कंपनी केएएल एयरवेज ने.स्पाइसजेट में अपने 58.46 फीसदी शेयर सिंह को महज दो रुपए में ट्रांसफर कर दिया था. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नकदी संकट के कारण एयर लाइन ठप पड़ गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में मारन की हार

मारन और केएएल एयरवेज ने इस रिमांड के फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी. इसके बाद सिंगल जज 2023 के आदेश के खिलाफ अपनी लंबित अपीलों को फिर से दायर किया. लेकिन हाईकोर्ट के डिवीज़न बेंच ने देरी की वजह से याचिका को ख़ारिज कर दिया.

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