प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू होने के बाद से अब तक हुए सभी अंतरधार्मिक विवादों की फाइल फिर से खुलने जा रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र जारी कर ऐसे मुकदमों और लिखित शिकायतों का ब्योरा मांगा है। ये सभी मामले युवतियों और किशोरियों के अपहरण से संबंधित हैं। इनमें देखा जाएगा कि इनमें कहीं धर्म परिवर्तन कराने की बात तो नहीं है। ऐसा हुआ तो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी।
प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम साल 2018 में लागू हुआ था। इसके तहत अगर कोई किसी का धर्म परिवर्तन कराना चाहता है तो उसे एक महीने पहले संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन करना होता है। इसके बाद जांच होती है और कोई विवाद नहीं होने पर अनुमति दी जाती है। इस अधिनियम में जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर कम सजा का प्रावधान था। लेकिन, साल 2022 में धामी सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर कठोर सजा का प्रावधान कर दिया गया। जबरन धर्मांतरण पर दस साल के कारावास और 50 हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया।
ऐसे में अब जो भी मामले सामने आ रहे हैं, उनमें संशोधित अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। वहीं, अब उन मामलों की फाइल भी खोली जा रही है जिनमें दूसरे धर्म की लड़की के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया है। लेकिन, इसकी जांच नहीं की गई कि इनमें धर्म परिवर्तन कराया गया या दबाव डाला गया। करा भी दिया गया तो अनुमति ली गई या नहीं। अब दोबारा फाइल खुलने के बाद जांच होगी और फिर दोषियों के खिलाफ संशोधित धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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