Uttarakhand: उत्तराखंड बीजेपी में लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति शुरू

लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड बीजेपी में रणनीति बनना शुरू हो गई है। कल प्रदेश प्रभारी की अध्यक्षता में बीजेपी दफ्तर में महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया, कि 2019 की तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी भारी बहुमत के साथ पांचों सीट उत्तराखंड की जीतेगी जिसको लेकर रणनीति पर तैयारियां की जा रही हैं। राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि हमारी पार्टी हर समय तैयार रहती है। चुनाव लड़ने के लिए और हमारे बूथ लेवल का कार्यक्रम लगातार होते रहते हैं। हमारा कार्यकर्ता हमेशा हर पल चुनाव के लिए तैयार हैं और इस बार 2019 से भी ज्यादा मतों से हम लोकसभा का चुनाव जीतेंगे।
उत्तराखंड की राजनीति के खांटी नेता भगत सिंह कोश्यारी ने अब सक्रिय राजनीति से दूर रहने की इच्छा जाहिर की है जिस पर उन्होंने कहा कि वह जिस संकल्पना के साथ राजनीति में आए थे उस संकल्पना को साकार करना चाहते। लेकिन उनके चाहने वाली की लंबी कतार देखकर यह नहीं लगता कि वह सक्रिय राजनीति से दूर रह पाएंगे? और विपक्ष भी वेट एंड वॉच की स्थिति में नजर आ रहा है कि भगत सिंह कोश्यारी किस करवट अपनी राजनीति करेंगे।
उत्तराखंड को देवभूमि इसलिए भी कहा जाता है कि यहां पर देवी देवताओं का वास है और दुनिया के सुप्रसिद्ध चार धाम भी यहीं पर स्थापित है। इसके अतिरिक्त अब राजनीति के लिए भी यहां उचित स्थान बनता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि उत्तराखंड में नेताओं की एक ऐसी कतार बनती हुई नजर आ रही है, जो सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात तो करते हैं लेकिन दूर नहीं रह पाते।
हम बात कर रहे हैं पार्क शास्त्री पार्क से इन नेताओं के जो अब सक्रिय राजनीति से तो दूर रहना चाहते है लेकिन कार्यकर्ताओं के दवाब में फिर से राजनीति करते रहते है। कांग्रेस की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात करते है, लेकिन ऐसा होता दिख नही रहा है। और अब बीजेपी में भी पूर्व सीएम भगत सिंह कोशियारी की यही राह पकड़ते हुए नजर आ रहे है।
भगत सिंह कोश्यारी के इसी राजनीतिक संकल्प को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में अलग-अलग बयान देते हुए नजर आ रहे हैं । बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ देवेंद्र भसीन की मानें तो भगत सिंह कोश्यारी अब उम्र के उस पड़ाव पर हैं और उन्हें मालूम है कि पार्टी में किस फार्मूले पर चलने का काम किया जाता है।
ऐसे में उन्होंने सही राह चुनी है और सक्रिय राजनीति से दूर रहकर राज्य की सेवा करने का मन बनाया है। जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस आप भी यही मानकर चल रही है कि भगत सिंह कोश्यारी का जैसा कार्यकाल पूर्ण आ रहा है और उन्होंने जो काम उत्तराखंड की राजनीति में किए हैं ऐसे में वह सक्रिय राजनीति से दूर नहीं रह पाएंगे और बीजेपी के लिए यही सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
उत्तराखंड में यू तो नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन भगत सिंह कोश्यारी के आने के बाद सीनियर नेताओं की सूची में एक और नाम जुड़ गया। यह नाम ऐसा है कि विपक्ष के साथ साथ सत्तापक्ष के लिए भी मिस्ट्री बना हुआ है कि आखिर उनका अगला स्टेप क्या होगा। क्या वह सक्रिय राजनीति से दूर रह पाएंगे?
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