कालागढ़ टाइगर रिजर्व से सटे मरचूला बाजार के आबादी वाले इलाके में 14 नवंबर की रात एक बाघिन घुस गई थी। इसकी सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बाघिन को भगाने का प्रयास किया। लेकिन बाघिन के हमलावर मुद्रा में आने के कारण वन आरक्षी ने बाघिन पर दो राउंड फायर किए जिससे बाघिन घायल हो गई और बाद में उसकी मौत हो गई। घटना का पूरा वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इस घटना में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।
पोस्टमॉर्टम में बाघिन की मौत वन आरक्षी धीरज सिंह की चलाई गई गोली से होने की पुष्टि हो गई है। इस मामले को लेकर वन आरक्षी पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे अटैच कर दिया गया है। चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन ने कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ को दो दिनों में जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
वन विभाग इस मामले में जांच तो करा रहा है लेकिन वनकर्मी की चलाई गोली से बाघिन की मौत ने वनविभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल ये कि वनकर्मियों ने बाघिन को ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने की बजाय सीधे फायरिंग के विकल्प को ही क्यों चुना। मौके पर वरिष्ठ अधिकारी क्यों नहीं नजर आए और अगर अधिकारी मौके पर रहे तो वो क्या कर रहे थे। वन विभाग इस मामले पर सफाई तो दे रहा है और वन आरक्षी पर कार्रवाई की खानापूरी की गई है। लेकिन इस गंभीर चूक पर किसी वरिष्ठ अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाती है या नहीं ये देखना होगा।
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