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Uttar Pradesh

योगी सरकार ने बिना कारण बताए 77 केस लिए वापस, मुकदमों में कई विधायकों और सांसदों के नाम हैं शामिल

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नई दिल्ली: यूपी की मोदी सरकार ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 77 मुकदमे बिना कोई उचित कारण बताए वापस लेने का निर्णय ले लिया है। इसमें ऐसे मामले शामिल हैं जिसमें उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसमें कई विधायकों और सांसदों के नाम भी शामिल हैं।

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कुल 510 मुकदमे हुए थे दर्ज़

इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे से संबंधित एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें राज्य सरकार ने कहा था कि “मुज़फ्फरनगर दंगे के संबंध में मेरठ जोन के पांच जिलों में 6,869 आरोपियों के विरूद्ध 510 मुकदमे दर्ज़ किये गये थे।“

उन्होंने कहा कि “510 मामलों में से 175 में आरोपपत्र दाखिल कर दिये गये थे, 165 की फाइनल रिपोर्ट जमा की गयी और 175 हटा दिये गये। अब 77 मामले राज्य सरकार ने CRPC की धारा 321 के तहत वापस ले लिये हैं। और उन्हें वापस लेने का कोई कारण भी नहीं बताया। केवल इतना कहा गया कि ‘प्रशासन ने पूरा विचार करने के बाद ख़ास मामले को वापस लेने का फैसला लिया है।“

कोर्ट ने सभी मुकदमों की मांगी जानकारी

विजय हंसारिया द्वारा कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट में, राज्य सरकार को सभी मामलों के लिए उचित कारण बताते हुए दोबारा आदेश जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

बता दें, शीर्ष न्यायालय में आजकल वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के ख़िलाफ लंबित मुकदमों की कार्यवाही में तेजी लाने की मांग चल रही है। जिस पर कोर्ट ने इस तरह के सभी लंबित मामलों की जानकारी मांगी थी। जिसके बाद योगी सरकार का मुकदमा वापस लेने का आदेश ज़ारी हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया, कि “हाई-कोर्ट की अनुमति के बिना सांसदों और विधायकों के खिलाफ़ दर्ज़ मुकदमों को राज्य सरकार वापस नहीं ले सकती।“

CRPC की धारा 321 के तहत कई राज्य सरकारें ले चुकी हैं मुकदमा वापस

हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट से गुज़ारिश की है कि वह राज्य सरकार से मुकदमों को वापस लिए जाने के सभी मामलों पर अलग-अलग कारण बताते हुए दोबारा आदेश जारी करने को कहें। सरकार से यह भी पूछा जाए कि क्या ये मुकदमे बिना किसी ठोस आधार के, किसी दुर्भावना के तहत दर्ज़ कराए गये थे। रिपोर्ट में दूसरे राज्यों का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि “कई राज्य सरकारों ने CRPC की धारा 321 के तहत मुकदमा वापस लेने वाले कानून का दुरुपयोग किया है। कर्नाटक में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 62, केरल में 36, तेलंगाना में 14 और तमिलनाडु में 4 मुकदमे बिना कोई वाजिब कारण बताए वापस लिए जा चुके हैं।“ योगी सरकार भी उसी राह पर चलने की तैयारी कर रही है।

एमिकस क्यूरी क्या है?

जब किसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट एकमत नहीं हो पाता, तब वह एमिकस क्यूरी का गठन करता है और उसकी राय के आधार पर अपना फैसला सुनाता है।

क्या है मुजफ्फरनगर दंगे का मामला?

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़र नगर जिले के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को जाटों और मुस्लिमों के बीच, मुस्लिम युवक द्वारा जाट की लड़की को छेड़ने पर, हुई झड़प के बाद लड़की के भाइयों द्वारा युवक को पीट-पीट कर मार डाला गया था, जिसके बाद झगड़ा बढ़ गया और सांम्प्रदायिक दंगे के रूप में बदल गया। हिंसा में 62 लोगों की जान गई थी और वहां कर्फ्यू लगा भी लगा दिया गया था। उस वक्त मिली जानकारी के अनुसार 1455 लोगों पर हिंसा से जुड़े कुल 503 मामले दर्ज किए गए थे। इससे संबंधित मुकदमे सपा सरकार के दौर में शामली और मुजफ्फरनगर में दर्ज किए गए थे।

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