Uttar Pradesh Legislative Assembly election, 2022: ऊत्तर प्रदेश में 6 चरण का मतदान हो चुका है। सोमवार को 7वें और अंतिम चरम का मतदान होना है। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने तमाम बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। हालांकि यह तो 10 मार्च को ही पता चल पाएगा कि क्या बीजेपी की यह रणनीति सफल हो सकी या नहीं। पिछले सभी चरणों में हुए मतदान को लेकर सभी राजनीतिक दल जीतने की भविष्यवाणी कर रहे हैं लेकिन आज हम बात करेंगे कि क्या 7वें चरण में बीजेपी फिर से 2017 की तरह इन 54 सीटों पर अपना जलबा बरकरार रख पाएगी या नहीं?
2017 के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Legislative Assembly election) में बीजेपी की जबरदस्त आंधी में सपा, बसपा सहित कांग्रेस भी उजड़ गई। बीजेपी ने 2017 में शानदार प्रदर्शन किया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 324 सीटें मिली थी। इसमें बीजेपी ने अकेले दम पर 311 सीटें जीती थी।
2017 में यूपी में बीजेपी का अबतक का सबसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। बीजेपी से इतर 54 सीटों पर एसपी-कांग्रेस गठबंधन, 19 पर बीएसपी और 6 सीटों पर अन्य ने जीत दर्ज की थी।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की 54 सीटों पर सातवें चरण में मतदान होना है। आजमगढ़ और जौनपुर जिला सपा का गढ़ माना जाता है। वहीं मऊ और गाजीपुर में इसबार सपा की सहयोगी सुभासपा और जनवादी पार्टी का असर है। बाकी जिलों में बीजेपी और उनकी सहयोगी अपना दल का प्रभाव माना जाता है।
आजमगढ़ की बात करें तो पिछली बार 10 सीटों में से सपा ने 5, बसपा ने 4 और बीजेपी ने एक सीट पर कब्जा जमाया था। वहीं मऊ जिले की 5 सीटों में से 4 पर बीजेपी और एक पर बसपा ने कब्जा किया था। जौनपुर जिले की 9 सीटों में से 4 पर बीजेपी ने कब्जा किया था जबकि 1 अपना दल (एस), 3 सपा और 1 बसपा को मिली थी।
गाजीपुर में 7 सीटों में से 3 पर बीजेपी ने, 2 सुभासपा और 2 सपा ने जीती थी। चंदौली की चार सीटों में से 3 पर बीजेपी और 1 पर सपा का कब्जा रहा था। वाराणसी में 8 में से 6 सीटों पर बीजेपी, 1 पर अपना दल (एस) और एक पर सुभासपा ने जीत दर्ज की थी।
इसी प्रकार भदोही की 3 में से दो बीजेपी और एक निषाद पार्टी के कब्जे में गई थी। मिर्जापुर में 5 सीटों में से 4 पर बीजेपी और 1 पर अपना दल (एस) ने जीत दर्ज की थी। सोनभद्र जिले की 4 में से 3 पर बीजेपी और 1 पर अपना दल (एस) ने जीत दर्ज की थी।
इस बार हालात थोड़े उलटे हो गए हैं। पिछली बार बीजेपी में रही सुभासपा ने इस बार सपा का हाथ थाम लिया है। सातवें चरण में बसपा का जनाधार भी काफी है। सातवें चरण में जातिगत समीकरण 90 के दशक से ही हावी रहे हैं।
हालांकि 2017 में मोदी लहर में यह थोड़ा ढीला हुआ था लेकिन इस बार फिर से माहौल वैसा ही है। ऐसे में यहां पर बीजेपी को थोड़ी मुश्लिकों का सामना इस बार करना पड़ सकता है। हालांकि यह तो 10 मार्च के बाद ही पता चलेगा कि जनता ने किसको सरकार बनाने के लिए चुना है।
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