जनता लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान है। वहीं निजी स्कूल संचालकों द्वारा फीस वृद्धि और किताबों की मोनोपोली के कारण जनता पर कितना असर पड़ा है। इसकी पड़ताल के लिए हिन्दी ख़बर ने निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो के अभिभावकों से बात की।अभिवावकों का कहना है कि लगातार स्कूल संचालकों द्वारा मनमानी की जाती है। वह अपनी मर्जी से फीस तय करते हैं।
अभिभावकों ने कहा कि फीस में वृद्धि करने के साथ ही अपने-अपने विद्यालयों के पाठ्यक्रम को भी अपनी मर्जी से नियत किये गए मूल्यों पर अभिवावकों को बेचते हैं, जिसका असर सीधे तौर पर हमारे दैनिक जीवन के खर्चो पर साफ पड़ता है। साथ ही अभिवावकों का यह भी कहना है कि अगर यहीं किताबें हमे अगर अन्य जगह से मिले तो शायद हमारा कुछ पैसा कम खर्च होगा।
वहीं स्कूल प्रबंधक का कहना है कि स्कूल के संचालकों द्वारा फीस में वृद्धि की गई है, क्योंकि स्कूलों के स्टाफ के खर्च के अनुसार यह तय किया जाता है।जहां तक किताबो के मूल्य में वृद्धि की बात है तो वह कागज के दाम बढ़ने के कारण वृद्धि की जाती है।
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