उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक साल से अधिक समय से अदालत में पेश नहीं होने वाले कैदियों की सुनवाई जल्द ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी। जानकारी के अनुसाप, जल्द ही इसका ट्रायल शुरू होने की संभावना है।
यूपी सरकार ने सात साल से कम सजा काट रहे ऐसे कैदियों को थाने से जमानत देने का एक और प्रस्ताव पेश किया है। आपको बता दें कि ये प्रस्ताव कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने पेश किया है। अब इस प्रस्ताव को सीएम योगी आदित्यनाथ की मंजूरी का इंतजार है।
इस दौरान सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यूपी की जेलों में कई कैदी ऐसे हैं, जिन्हें तबादले व अन्य कारणों से कोर्ट द्वारा पेशी के लिए नहीं बुलाया जा रहा है। लिहाजा विभाग ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इनका ट्रायल चलाने की अनुशंसा की है।
विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद 232 कैदी एक साल से ज्यादा समय से एक जेल से दूसरे जेल में स्थानान्तरित किए जा रहे हैं। इस कारण से उन्हें न्यायालय में पेश करना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके बाद उनके मुकदमों की सुनवाई बाधित हो जाती है। ऐसे में उनके रुके हुए मुकदमों की सुनवाई के लिए ये ख़ास ऑप्शन लाया गया है। अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई फिर से शुरू की जा सकती है।
विभाग ने यह भी अनुशंसा की है कि जिन बंदियों को तीन माह से सात वर्ष की सजा सुनाई गई है, उन्हें थानों से जमानत दी जाए।
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