UP News: सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों को सरकार द्वारा बहुत सी ऐसी सुविधाएं दी जाती हैं जो उनकी जिंदगी में आवश्यक भूमिका निभाते हैं। ऐसी ही एक योजना है “अनिवार्य जीवन बीमा योजना”। जो प्रदेश में सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों को दी जाती है।
फिलहाल, उन शिक्षकों क लिए बुरी ख़बर है जिनकी नियुक्ति 31 मार्च 2024 के बाद हुई है। दरअसल, ख़बर है कि इन अध्यापकों को अनिवार्य जीवन बीमा योजना का लाभ नहीं मिलेगा। सरकार ने अनुदान प्राप्त विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के लिए लाभ के नियमों में बदलाव का आदेश जारी किया है। इससे राज्य भर के 4,500 से अधिक वित्तपोषित कॉलेजों के 10,000 से अधिक संकाय और कर्मचारी प्रभावित होंगे।
जानकारी के मुताबिक एलआईसी(LIC) में पूर्व शिक्षक-कर्मचारियों को ग्रुप इंश्योरेंस का लाभ दिया गया था। योजना के तहत विभिन्न वेतन बैंड पर शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के वेतन से 84 रुपये से लेकर 175 रुपये तक बोनस काटा जाता था। कुछ साल पहले इस कार्यक्रम को एलआईसी ने समाप्त कर दिया था। ऐसे में जो कर्मचारी पहले से ही इस प्रणाली में पंजीकृत हैं, उन्हें इसका लाभ मिल सकता है, लेकिन 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त प्रोफेसरों और कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल सकता है।
एलआईसी द्वारा योजना बंद करने के बाद भी कुछ समय तक (2015-16 में) बीमा कटौती जारी रही और फिर बंद कर दी गई। शिक्षकों और कर्मचारियों को अभी तक वह राशि वापस नहीं मिली है। हाल ही में उप मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों और कर्मचारियों को अनिवार्य बीमा के दायरे में नहीं माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन मंत्री ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह कर्मचारियों को पेंशन और समूह बीमा से वंचित करने की साजिश है। शिक्षक संघर्ष विशेष समिति के प्रदेश अध्यक्ष राजमणि सिंह ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 2,000 से अधिक शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया है, जो वर्षों से उनके लिए काम कर रहे थे। यहां तक कि अतीत में उनके अवैतनिक वेतन को भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसे में यह फैसला उनके साथ नाइंसाफी है। सभी शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए बीमा और पेंशन अनिवार्य होनी चाहिए। इसके खिलाफ आगे अधिक लड़ाइयां लड़ी जाएंगी।
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि ऐसे शिक्षक जो तदर्थ/अल्पकालिक खाली पदों पर नियुक्त हुए। बाद में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम के तहत नियमित हुए हैं। उनकी सेवा मौलिक नियुक्ति की तिथि 22 मार्च 2016 से ही अर्हकारी सेवा के रूप में गिनी जाएगी।
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