जेल में सजा काट रहे कैदी बनाते हैं राख और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री से मूर्तियां, अद्भुत तरीके से बनाई गई मूर्तियों मे दिख रही कैदियों की आस्था

जेल में सजा काट रहे कैदी बनाते हैं राख और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री से मूर्तियां.

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नोएडा: हमारा देश भारत एक धर्म प्रधान देश है और इसका बड़ा कारण है हमारी संस्कृति और आस्था।
आस्था का एक ऐसा ही नया रूप नोएडा की जेल में सजा काट रहे कैदी और सजा काटकर जेल से बाहर आए कैदियों में देखने को मिला है। कैदियों ने एक विशेष तरीके से मूर्ति बनाई है, जो पर्यावरण के अनुकूल तो है ही, साथ ही कम लागत मे उपलब्ध होने वाली भी है। ऐसे में कैदियों में गणेश चतुर्थी को लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिला।

मूर्तियां राख और अन्य बायोडिग्रेडेबल चीजों से बनाई जाती हैं

मूर्तिकार संजय नाम के एक शख्स ने बताया कि उसने अपनी सजा के बीच में ही मूर्ति बनाना सीखा था। हालांकि अब वह जेल से छूट गया है, लेकिन मूर्ति बनाना बंद नहीं किया बल्कि मूर्ति बनाकर अपना जीवन व्यतीत कर रहा है।

वो बताते हैं कि पूजा के बाद लोग मूर्तियों को नदी, तालाब में फेंक देते थे, जिससे मूर्तियों के रसायन पानी में जाकर जलाशयों को नुकसान पहुंचाते थे। इसे ध्यान में रखते हुए हम राख और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री से मूर्तियां बना रहे हैं। इससे कचरा प्रबंधन किया जा रहा है। साथ ही आस्था की भी बात है।

आईटीएस कॉलेज में अपने ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से ऑर्डर डिलीवर पहुंचाते हैं

मूर्ति बनाने वाले एक और शख्स नरेश का कहना है कि हम नोएडा के आईटीएस कॉलेज में ही मूर्तियां बनाते हैं और यहां से अपने ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से ऑर्डर देते हैं। हम 3 आकार की मूर्तियाँ बनाते हैं, सबसे छोटी की कीमत 11सौ है और उसके बाद आकार और वजन के अनुसार दाम बढ़ते रहते हैं।

वो बताते हैं कि ये मूर्तियाँ जेल में सजा काट रहे कैदियों द्वारा बनाई गई हैं, जिससे उन्हें न केवल रोजगार मिल रहा है बल्कि मूर्तिकला के माध्यम से अच्छा जीवन जीने का मौका भी मिल रहा है।

मूर्तिकार आकाश का कहना है कि हमने इस परियोजना को तीन साल पहले शुरू किया था, आज लोग जानते हैं कि हम कैसे काम कर रहे हैं। लेकिन जरूरत इस बात की है कि आम जनता भी ऐसे लोगों का समर्थन करे जो इस तरह का काम कर रहे हैं। उन्हें समर्थन देने की जरूरत है। पर्यावरण के लिए सोचते हुए उन्हें सहयोग देने की जरूरत है।

मूर्तियां बनाते कैदी आकाश

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