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रंग लाई PM मोदी की मेहनत, पहले की तुलना में अब आचमन करने योग्य हुआ गंगाजल

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वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि मेहनत आज काशी की गलियों में साफ देखने को मिल रही है। बता दें पूरे विश्व में काशी को लोग धार्मिक नगरी और बाबा भोले कि नगरी के नाम से पहचानते है। ऐसे में सुंदर काशी का मंत्र गंगा नदी में गंदगी के कारण पिछले कुछ सालों में विफल होता हुआ नजर आ रहा था। लेकिन ये कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार के पिछले 8 सालों के प्रयासों के बाद अब पहले की तुलना में गंगा का जल अविरल होता दिखाई दे रहा है।

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हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि अभी और व्यापक योजनाओं के तहत गंगा को पूरी तरह से प्रदूषण से मुक्त करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। लेकिन आज गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने वाले सरकार के प्रयासों का शुरूआती बेहतर परिणाम भी जमीन पर दिखने लगा है।

बदल रही गंगा की धारा

पीएम मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल में ही गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दिया था।  लेकिन प्रथम कार्यकाल के अंत तक इस योजना के सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिल रहे थे। लेकिन अब प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार  अब 8 साल पूरे होने पर वाराणसी में 320 MLD के एसटीपी प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं।

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जबकि 2014 के पहले यह आंकड़ा 90 MLD के एसटीपी प्लांट तक ही सीमित रह गया था। इसके अलावा 40 से अधिक नाले जो सीधे गंगा नदी में जाकर गिरते थे अब लगभग 35 नालो को एसटीपी की तरफ डायवर्ट किया जा चुका है। इसके साथ ही अभी भी जो नाले गंगा नदी में गिर रहे हैं। उनके भी जल्द प्रबंध करके उनके भी प्रभाव को जल्द रोकने कि बात कही जा रही है। अब देखना होगा कि गंगा को कब तक प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त कर अपने संस्कृति के साथ-साथ भविष्य को भी संरक्षित करने का दायित्व केंद्र सरकार पूरा कर लेती है।

रिपोर्ट: निशांत चतुर्वेदी

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