नोएडा में डीसीपी क्राइम टीम ने स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास के दुकानदारों से पूछताछ की, जानिए

नोएडाः डीसीपी क्राइम अभिषेक कुमार द्वारा स्वाट टीम रिश्वत मामले में जांच की जा रही है। पुलिस सूत्रों की माने तो डीसीपी क्राइम द्वारा सभी साक्ष्यों और गवाहों के साथ एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी जा सकती है। दरअसल यह मामला नोएडा के गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरी में स्वाट टीम के प्रभारी व अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा 25 लाख रुपए और क्रेटा कार मुलजिम से लेकर छोड़ने के मामले में चल रहा है। जिसमें डीसीपी अपराध की जांच में कई लोगों से पूछताछ के बाद अब स्वाट टीम के गुप्त कार्यालय सेक्टर 119 जा पहुंची है।
डीसीपी अपराध की जांच में कई लोगों से पूछताछ जारी
जहां सभी कमरों में ताले मिले जिसके बाद डीसीपी क्राइम टीम ने स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास के दुकानदारों से पूछताछ की। वहां के दुकानदारों का कहना है कि जांच टीम हर बार क्रेटा कार के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही थी। दुकानदारों ने आगे बताया कि हमारे पास कोई जानकारी न होने के चलते, हम उन्हें कुछ बता नहीं पाए क्योंकि प्रतिदिन अलग-अलग तरह की गाड़ियां और अलग-अलग तरह के लोग आते और जाते थे, इसलिए गाड़ी को पहचान पाना मुश्किल था।स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास के दुकानदारों से पूछताछ की

स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास के दुकानदारों से पूछताछ
मालूम हो कि स्वाट टीम का गोपनीय कार्यालय रिश्वत मामले के भंडाफोड़ होने के साथ ही बंद हो गया और वहां रहने के लिए फरार हो गए थे। उधर, डीसीपी क्राइम की जांच अभी जारी है। स्वाट टीम रिश्वत मामले में डीसीपी क्राइम अभिषेक कुमार की टीम लगातार सभी लोगों से पूछताछ में लगी हुई है। जबकि इस केस में स्वाट टीम के आठ पुलिसकर्मी ने अब तक इस मामले में जहां अपने बयान दर्ज किए है। वहीं बर्खास्त हुए स्वाट टीम प्रभारी सावेज खान, कांस्टेबल अमरीश कांत यादव और कांस्टेबल नितिन तोमर द्वारा उनका कोई बयान दर्ज नहीं किया गया है।
स्वाट टीम का गोपनीय कार्यालय रिश्वत मामले का भंडाफोड़
साथ ही इन लोगों के पास अभी भी सरकारी असलहे है जांच टीम इस घटना से जुड़े हर पहलू और तमाम लोगों से पूछताछ में लगी हुई है। आपको बता दें कि इस केस में पूछताछ करने के लिए डीसीपी क्राइम की टीम स्वाट टीम सेक्टर 119 के गुप्त कार्यालय पहुंची जो पहले परथला पुलिस चौकी हुआ करती थी। फिर पुलिस चौकी का स्थान बदलने के बाद, उस कार्यालय पर स्वाट टीम का कब्जा हो गया। यहां पैसों के लेनदेन से लेकर आरोपियों को छोड़ने तक का काम किया जाता था। वहीं स्वाट टीम के दफ्तर के बाहर दो दुकानदार है जिनमें एक पंक्चर बनाने का काम करता है।

पुलिस चौकी पर स्वाट टीम का कब्जा
जबकि दूसरा सिलाई करने का काम करता है। कई दौर की पूछताछ में जांच टीम को अभी तक दोनों दुकानदारों से कोई खास सबूत नहीं मिला है। पंचर बनाने वाले पुष्पेंद्र का कहना है कि कई बार जांच टीम यहां पर आई और हमसे पूछताछ की। वहीं जांच दल द्वारा क्रेटा, स्कॉर्पियो, फॉर्च्यूनर तरह-तरह की गाड़ियों के नाम के बारे में पूछताछ कर रही थी। तो जानकारी नहीं होने के चलते हम उन्हें कुछ नहीं बता सके। पुष्पेंद्र ने यह भी बताया कि पहले कई पुलिसकर्मी दिन और रात इस कार्यालय में रुकते थे लेकिन जब से पूछताछ टीम आ रही है यहां रहने वाले ताला बंद करके चले गए है।