यूपी की सत्ता में शानदार वापसी के बाद अभी तक योगी आदित्यनाथ द्वारा सीएम पद की शपथ नहीं ली गई है। खबर है कि इस देर के पीछे की मुख्य वजह है योगी की कैबिनेट को केंद्र की मोदी सरकार की तर्ज पर प्रोफेशनल टच देने की तैयारी है।
इस बार योगी कैबिनेट में इस बात पर विशेष जोर है कि कैबिनेट में जगह लेने वालों के पास राजनीतिक अनुभव के साथ-साथ जातिगत, शैक्षणिक और प्रोफेशनल स्कील भी हो। यह सब 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया जा रहा है।
इस बार के चुनाव में बीजेपी BSP के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही। ऐसे में इन जाटव वोट पर कब्जा जमाए रखने के लिए जाटव समुदाय से दो या तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं। वहीं पार्टी में महिलाओं को भी प्रर्याप्त जगह दी जा सकती है।
इस बार विधायकों की शैक्षणिक योग्यता भी परखी जाएगी। बीजेपी इस बार जनता के बीच पढ़े-लिखे लोगों को भेजकर यह संदेश देने की कोशिश कर सकती है कि वह साफ-सुथरी पॉलिटिक्स को आगे बढ़ाना चाहती है। पार्टी का लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा बुद्धिजीवी वर्ग को जोड़ा जाए।
इसके साथ-साथ बीजेपी इस योगी कैबिनेट के लिए वैसे विधायकों का नाम भी चुन रही है जो किसी खास विषय के एक्सपर्ट भी हो। ऐसे विधायकों को उसी से जुड़ा विभाग दिया जाएगा, ताकि वह जनता के बीच तेजी से योजनाओं की डिलीवरी करा सकें।
इस बार योगी कैबिनेट में जगह पाने वाले मंत्रियों को टारगेट दिया जाएगा। टारगेट के अनुसार उनके परफॉर्मेंस को भी परखा जाएगा। बताया जा रहा है कि कैबिनेट गठन को लेकर PMO स्तर से भी विधायकों की मैपिंग हो रही है। यूपी में जनता के बीच कोई गलत संदेश न जाए इसके लिए बीजेपी पूरी कोशिश में लगी हुई है।
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