Hamirpur: खनन घोटाले में 2 जनवरी 2019 को सीबीआई मुख्यालय की स्पेशल क्राइम ब्रांच-3 द्वारा दर्ज एफआईआर में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आरोपी नहीं बनाया गया था।
सीबीआई ने तत्कालीन डीएम, बी चंद्र कला खनन अधिकारियों, पूर्व सपा एमएलसी रमेश मिश्रा समेत तमाम लोगों को नामजद तो किया लेकिन असली गुनहगारों को नहीं तलाश सकी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से पूछताछ के बाद सीबीआई इस मामले में किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच सकती है।
वर्ष 2019 में सीबीआई ने खनन निदेशालय से घोटाले से जुड़े सारे दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए थे। इन्हीं दस्तावेजों की पड़ताल के बाद ही अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए नोटिस दिया गया है। सीबीआई ने खनन निदेशालय से 23 फाइलों को अपने कब्जे में लिया था।
इन फाइलों में कई ”बड़ों” की भूमिका के प्रमाण मिलने की आशंका जताई जा रही थी। वहीं, जब ईडी ने शासन से इन दस्तावेजों की प्रतियां मांगी तो वह मुहैया नहीं कराई गयी। इससे ईडी की जांच रफ्तार नहीं पकड़ सकी। केवल गायत्री प्रजापति पर ही शिकंजा कसा जा सका। बता दें कि ईडी खनन घोटाले में तत्कालीन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की 50 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर चुका है। वहीं, हमीरपुर निवासी पूर्व सपा एमएलसी रमेश मिश्रा की संपत्तियों का पता लगाया जा रहा है।,
बता दें कि सीबीआई और ईडी ने खनन घोटाले में नामजद आधा दर्जन से ज्यादा आईएएस अधिकारियों के बयान कई बार दर्ज तो किए, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ सकी। कुछ अफसरों की संपत्तियों की जांच भी ईडी ने शुरू की थी, हालांकि बीते कई सालों से यह भी ठंडे बस्ते में है। अब अखिलेश यादव को नोटिस के बाद ईडी फिर से इस प्रकरण की फाइलों को पलटने की तैयारी में है।
दरअसल वर्ष 2012 से 2016 के बीच सपा सरकार में अधिकारियों ने 23 खनन पट्टों के नवीनीकरण की अनुमति दी थी, जबकि इस पर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पाबंदी लगा रखी थी। उस दौरान पहले अखिलेश यादव और फिर गायत्री प्रजापति खनन मंत्री थे। हाईकोर्ट ने एक पीआईएल की सुनवाई के दौरान अवैध तरीके से खनन पट्टे देने की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। जिसके बाद सीबीआई ने फतेहपुर, सोनभद्र, देवरिया, हमीरपुर, शामली, सिद्धार्थनगर, सहारनपुर आदि जिलों में हुई गड़बड़ियों की जांच के लिए मुकदमे दर्ज किए थे। प्रारंभिक जांच में 100 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला होने के प्रमाण मिले थे।
याचिकाकर्ता विजय द्विवेदी के अनुसार सपा सरकार के दौरान नियमों की अनदेखी कर ई-टेंडरिंग की जगह मनमाने ढंग से मौरंग खनन के पट्टे दिए गए। जिसमें 17 पट्टे 2012 में किए गए, उस दौरान खनन विभाग स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास था। जिसे आधार बनाकर बाद में 22 जिलों में खनन के पट्टे दिए गए। वहीं गायत्री प्रजापति के खनिज मंत्री बनने पर 32 पट्टे और जारी किए गए। जिस पर उन्होंने सात मई 2015 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद 49 पट्टे निरस्त कर दिए गये। लेकिन इसके बाद भी जिले में खनन जारी रहा। जिसकी पुन: याचिका पर 20 जून 2016 को हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी पट्टे निरस्त कर दिए। इसमें जिले में संचालित 63 पट्टे भी शामिल थे। जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा जिले में खनन न होने का हलफनामा दिया गया लेकिन खनन जारी रहा।
(हमीरपुर से दिनेश कुशवाहाकी रिपोर्ट)
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