Gyanvapi Case जिला कोर्ट ट्रांसफर, सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिए सुझाव

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने ज्ञानवापी केस Gyanvapi Case में सुनवाई करते हुए केस को जिला कोर्ट Distric Court ट्रांसफर कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court में भी ज्ञानवापी केस में सुनवाई हुई और अगली सुनवाई 6 जुलाई के लिए टाल दी गई. शुक्रवार को वाराणसी में एक समय माहौल तनावपूर्ण हो गया. ज्ञानवापी में नमाज पढ़ने के लिए भारी भीड़ पहुंच गई. जिसके बाद मस्जिद का दरवाजा बंद करना पड़ा.
500 सालों से है मस्जिद- मुस्लिम पक्ष
ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि मस्जिद के अस्तित्व और मस्जिद के धार्मिक चरित्र पर कोई विवाद नहीं है. इस पर हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील वैद्यनाथन ने उन्हें टोकते हुए कहा कि यह विवाद में है. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने अपने बात दोहराते हुए कहा कि यह विवाद में नहीं है. मस्जिद 500 साल से है. POW अधिनियम कहता है कि स्वतंत्रता के समय जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में था वह वैसे ही रहेगा. अगर इसमें कोई बदलाव करता है तो नियम का उल्लंघन होगा.
धार्मिक चरित्र पता करने पर कोई रोक नहीं- SC
इस समय देश में कई ऐसी जगह हैं, जहां कई धर्मों के प्रतीक मौजूद हैं. पहले मंदिर था, फिर मस्जिद, फिर दूसरा मंदिर या बौद्ध मंदिर. विवाद को रोकने के लिए POW अधिनियम बनाया गया था. जिनका सर्वे होना जरूरी है. अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर स्पष्ट रूप से रोक है. आयोग का गठन क्यों किया गया था? यह देखना था कि वहां क्या था ?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूहड़ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी का धार्मिक चरित्र पता करने में कोई रोक नहीं है. आगे मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि कमीशन नियुक्त करने का मतलब ये पता लगाना था कि परिसर में किसी देवता की मूर्ति या धार्मिक चिह्न तो नहीं हैं. जिस पर जवाब देते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कहीं अगियारी और क्रॉस मिलते हैं तो दो धर्मों का अस्तित्व बताते हैं.