भारत-नेपाल सीमावर्ती इलाकों में मदरसों के संचालन को लेकर योगी सरकार यूं तो वृहद सर्वेक्षण करवा रही हैं। तमाम बातों को पता करने और उन्हें उजागर करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं, सरकार द्वारा अनुदानित मदरसों में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायतें भी निकाल कर सामने आ रही हैं। ताजा मामला, जिले के सीमावर्ती इलाके में स्थित पचपेड़वा नगर में के अनुदानित मदरसा फजले रहमानिया से जुड़ा हुआ है। अनुदानित मदरसे में तीन फर्जी मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति का भंडाफोड़ हुआ है।
नेपाल-सीमा पर स्थित फजले रहमानिया मदरसा, अंजुमन नाशिरुल उलूम सोसाइटी द्वारा संचालित किया जाता है। संस्था के अध्यक्ष अता हुसैन और संस्था के उपाध्यक्ष साबिर अली ने रजिस्ट्रार, मदरसा शिक्षा परिषद लखनऊ, डीएम और एसपी को दिए गए प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया है कि मदरसे के प्रबंधक अहमदुल कादरी, अल्पसंख्यक विभाग के लिपिक सुशील कुमार और तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बालेंदु द्विवेदी ने मिलकर तीन मदरसा शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति कर लीं। बिना ज्वाइनिंग कराए माह जून 2023 का वेतन बिल भी भुगतान के लिए प्रेषित कर दिया गया।
इसकी जानकारी मदरसे के प्रधानाचार्य मोहम्मद नूरुल हसन खाँ को भी नहीं हुई। इस फर्जी नियुक्ति का भंडाफोड़ तब हुआ, जब मदरसे के प्रधानाचार्य ने माह जून 2023 के लिए मदरसे के 20 पदों के सापेक्ष वेतन बिल भेजा। जबकि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिपिक सुशील कुमार ने तीन फर्जी शिक्षकों समेत 23 लोगों का वेतन बिल भुगतान के लिए वरिष्ठ कोषाधिकारी के यहां प्रस्तुत कर दिया। इसकी जानकारी होने पर प्रधानाचार्य मोहम्मद नूरुल हसन खाँ ने वरिष्ठ कोषाधिकारी सहित जिला प्रशासन को इस मामले से अवगत कराया। डीएम के आदेश पर तीनों फर्जी शिक्षकों के वेतन बिल का भुगतान रोक दिया गया।
शिकायतकर्ता रज़ाउल मुस्तफ़ा ने बताया कि जून माह के वेतन के लिए मदरसे में कार्यरत 20 शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन बिल बनाया गया था। विभागीय लोगों की मिलीभगत से तीन फर्जी शिक्षकों का वेतन बिल भी इसमें शामिल कर दिया गया, जिसे संज्ञान में आने पर वरिष्ठ कोषाधिकारी के द्वारा रोक दिया गया है। संस्था के अध्यक्ष अता हुसैन ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि उनका फर्जी हस्ताक्षर बनाकर मदरसे में तीन लोगों की फर्जी नियुक्ति की गई है।
उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े में मदरसे के प्रबंधक अहमदुल कादरी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की मिलीभगत से फर्जी नियुक्त की है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि फर्जी नियुक्तियां निरस्त करके भ्रष्टाचार कर सरकारी धन का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए। प्रकरण संज्ञान में आने पर डीएम अरविंद कुमार सिंह ने इस फर्जीवाड़े की गंभीरता से लेते हुए तीनों फर्जी शिक्षकों के वेतन रोकने और प्रकरण की जांच करने का आदेश दिया है। पुलिस अधीक्षक केशव कुमार ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गोपनीय जांच के आदेश दिए हैं। अब देखना होगा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और जिले के आला अधिकारी इस मामले को जांच के बाद कैसे दूध का दूध और पानी का पानी करते हैं या ये मामला भी अन्य मामलों की तरह ही आया राम और गया राम हो जाता है।
(देवीपाटन से योगेंद्र त्रिपाठी की रिपोर्ट)
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