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चुनाव आयोग की वेबसाइट में सेंधमारी, बने 10 हजार से ज़्यादा फर्ज़ी वोटर आईडी

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सहारनपुर। चुनाव आयोग की बेबसाइट हैक होने के मामले में यूपी पुलिस ने 12 अगस्त को यूपी के सहारनपुर जिले के नाकुंड इलाके के मचरहेडी गांव से एक सख़्श को गिरफ़्तार किया है। उस पर आरोप है कि उसने चुनाव आयोग की वेबसाइट में सेंध लगा कर हज़ारो वोटर आईडी कार्ड बना लिए। आरोपी एक छोटे से शहर में कंप्यूटर की दुकान चलाता है। मामला इतना गंभीर होता नज़र आ रहा है कि दिल्ली पुलिस जांच के लिए इस युवक को अपनी कस्टडी में लेना चाहती है।

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हैकिंग के लिए अधिकारियों का ही पासवर्ड होता था यूज़

गिरफ़्तार हुए युवक का नाम विपुल सैनी है और उसने मध्य प्रदेश के निवासी अरमान मलिक के साथ मिलकर आयोग की वेबसाइट को हैक किया था। मामले की कार्यवाही में शामिल साइबर सेल का कहना है कि विपुल लगभग पिछले तीन महीने से आयोग की वेबसाइट में घुसपैठ कर रहा था। अब तक 10 हजार से ज़्यादा फ़र्जी वोटर आईडी बना चुका है। यही नहीं वह लॉग-इन के लिए वही पासवर्ड इस्तेमाल करता था, जो कमीशन के अधिकारी करते थे। जब इलेक्शन कमीशन के अधिकारियों को शक हुआ, तब उन्होंने जांच एजेंसियों को इसकी जानकारी दी।

60 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन, रात को खुलवाया बैंक

पूछताछ में पता चला है कि अरमान विपुल को टास्क देता था, जिसे वह दिन में पूरा करके रात को डिटेल्स भेज देता था और उसके बदले में उसे पैसे मिल जाते थे। उसे एक आईकार्ड पर 100 से 200 रुपए मिलते थे। उसने बताया कि काम पूरा होने के बाद पैसे उसके खाते में आ जाते थे। जानकारी मिलने के बाद साइबर सेल ने रात में ही बैंक की ब्रांच को खुलवाया। जांच मे पता चला कि उसके बैंक खाते से तकरीबन 60 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है। पुलिस छानबीन में जुटी है कि यह पैसा आख़िर किन जगहों से आया है और इसमें कौन-कौन शामिल है।

सहारनपुर पुलिस को दिल्ली की एक एजेंसी से इसका इनपुट मिला था। जिसके बाद लोकेशन को ट्रैक करते हुए पुलिस आरोपी तक पहुंची। विपुल के घर से दो कम्प्यूटर भी ज़ब्त किए गये हैं। जिनसे डाटा निकालने का काम ज़ारी है।

देश-विरोधी लोगों के शामिल होने की आशंका

इस मामले में देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। दिल्ली की जांच एजेंसियां इस मामले में छानबीन और विपुल से पूछताछ करने के लिए कोर्ट से परमीशन लेने की तैयारी कर रही हैं।

सहारनपुर के एसएसपी एस चनप्पा ने बताया कि, ‘हम अभी ये नहीं कह सकते कि वो फ़र्जी वोटर आईडी कार्ड आख़िर क्यों बना रहा था। और इनका इस्तेमाल किस काम के लिए किया जा रहा था। किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए अभी काफी तहकीकात करने की जरूरत है।’

इस घटना से इलेक्शन कमीशन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। जहां कमीशन हमेशा से वेबसाइट के पूरी तरह से सुरक्षित होने की दावा करता रहा है। वहीं एक छोटे से शहर के कंप्यूटर की छोटी सी दुकान चलाने वाले एक साधारण से लड़के ने कथित तौर पर वेबसाइट हैक कर दिया है। इससे पता लगाया जा सकता है कि सुरक्षा का स्तर क्या है।

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