Ayodhya Masjid: 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद, मस्जिद भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है। 5 एकड़ जमीन पर बनने वाली मस्जिद के लिए मक्का से पवित्र ईंट लाया गया है। मदीना शरीफ और मक्का शरीफ में आबे जम-जम और इत्र से इस ईंट को गुस्ल (Wash) किया गया। 29 फरवरी को एक कार्यक्रम में इसे प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके बाद इसे अजमेर शरीफ ले जाया जाएगा। 2019 में अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद बनाने का भी आदेश दिया था। अयोध्या से 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में यह मस्जिद बनाई जाएगी।
मस्जिद का निर्माण अप्रैल में ईद के बाद शुरू होना चाहिए। मस्जिद, जिसमें 9 हजार लोग एक साथ नमाज कर सकेंगे, ताजमहल से भी बेहतर होगी। मदीना से आने वाली पवित्र ईंट की विशेष काली मिट्टी है। इसके अलावा, मस्जिद और कुरान 22 फीट ऊंची केसरिया रंग की पांच मीनारें होंगी, जो तौहीद नमाज, रोजा, जकात और हज का प्रतीक होंगे। आइए देखें कि अयोध्या की यह मस्जिद कैसी होगी:
इसी पवित्र काली ईंट से अयोध्या में एक मस्जिद की नींव रखी जाएगी। यह मस्जिद बनाने के लिए पहली ईंट होगी। 12 अक्टूबर, 2023 को ऑल इंडिया राब्ता-ए-मस्जिद में एक कार्यक्रम में पवित्र काली ईंट का अनावरण किया गया। अरफात शेख ईंट, मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला डेवलपमेंट कमेटी का अध्यक्ष, इसके बाद मक्का चले गए। अरफात शेख भी इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन का ट्रस्टी हैं। ईंट को मक्का में पवित्र जल आबे जम-जम से गुल्स किया गया। फिर ईंट को मदीना लेकर गए और उसे इत्र भी लगाया गया। पवित्र ईंट को फिर से भारत लाया गया।
ईंट एक विशिष्ट प्रकार की काली मिट्टी से बनाया गया है। इस पर पवित्र कुरान की कुछ आयतें सोने से लिखी गई हैं। इस्लाम के नबी के नाम भी चारों तरफ लिखे गए हैं। रमजान और ईद के बाद अप्रैल में ईंट को अयोध्या भेजा जाएगा। अयोध्या से २५ किलोमीटर दूर धन्नीपुर में एक मस्जिद बनेगी। यह मस्जिद पैगंबर मोहम्मद के नाम पर मोहम्मद बिन अब्दुल्ला कहलाती है। अरफात शेख ने आईएएनएस को बताया कि भारत में नई मस्जिद एक महत्वपूर्ण स्थान होगा। उनका कहना था कि अल्लाह के करम से मस्जिद का निर्माण बहुत भव्य और शानदार होगा। खूबसूरती की दृष्टि से भी यह ताज महल की तरह विश्वव्यापी स्मारक है।
अरफात शेख ने कहा कि यह भारत की पहली मस्जिद होगी, जिसमें पांच मीनार और इस्लाम के पांच स्तंभ होंगे। इस्लाम के पांच स्तंभों का उल्लेख किया गया है। नमाज, रोजा, जकात और हज ये तौहीद हैं। तौहीद का अर्थ है एक अल्लाह की इबादत करना और उसे मानना। दूसरा, दिन में पांच बार नमाज अदा करना। रमजान के महीने में तीन बार रोजे रखना। चौथा जकात, अर्थात् आर्थिक रूप से सक्षम मुस्लिमों को दान करना, पांचवां हज। हज करना शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों पर अनिवार्य है। मुसलमानों को पूरी जिंदगी में एक बार हज करना अनिवार्य है।
21 फीट ऊंची और 36 फीट चौड़ी विश्व की सबसे बड़ी कुरान भी इस मस्जिद में होगी। इसका केसरिया रंग इसकी विशिष्टता होगी। मुसलमान केसिरया को सूफी संत चिश्ती का रंग मानते हैं। इसके अलावा, मस्जिद में नौ हजार श्रद्धालु एक साथ (5 हजार पुरुष और 4 हजार महिलाओं) नमाज अदा कर सकेंगे। 500 बेड का कैंसर अस्पताल, स्कूल और लॉ कॉलेज, संग्रहालय और पुस्तकालय मस्जिद क्षेत्र में होंगे। साथ ही पूरी तरह से शाकाहारी एक रसोई घर भी होगा, जहां आवश्यक लोगों और आने वालों को खाना मिलेगा। अरफात शेख ने बताया कि मक्का के इमाम, या इमाम-ए-हरम अब्दुल रहमान अल सुदैस, मस्जिद में पहली बार इबादत करेंगे। अरब देशों के प्रसिद्ध मुस्लिम नेताओं को भी न्योता भेजा जाएगा।
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