Same Sex Marriage: कहा जाता है कि इश्क और जंग में सब जायज है। हम यहां बात इश्क की कर रहे हैं। ये मामला आपको अटपटा लग सकता है लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। फिलहाल बिहार में यह चर्चा का विषय है। दरअसल यहां दो लड़कियों ने आपस में शादी कर ली है, मतलब समलैंगिक विवाह।
यह मामला जुड़ा है बिहार के जमुई और लखीसराय इलाके से। इसकी शुरूआत हुई देश की राजधानी दिल्ली में। तो जानिए कि मोहब्बत का ये सिलसिला दिल्ली में आखिर कैसे शुरू हुआ। दरअसल डेढ़ साल पहले लखीसराय जिला निवासी एक लड़की के मामा के बेटे की शादी दिल्ली में थी। लखीसराय निवासी ये लड़की इस शादी में शरीक होने दिल्ली पहुंची। वहां उसे जमुई निवासी एक लड़की मिली। दोनों में दोस्ती हो गई।
दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होती गई। लड़कियों की मानें तो कब ये दोस्ती प्यार में बदल गई पता न चला। वो एक दूसरे से शादी करना चाहती थीं। वकौल इन लड़कियों के इन लोगों के घर वाले इस बात के लिए जरा भी राजी नहीं थे। ऐसे में परिवार वालों ने दोनों से एक दूसरे को भूल जाने को कहा लेकिन दोनों लड़कियां ये कर न सकीं। परिवार की बंदिशों के बीच इनका प्यार परवान चढ़ता गया।
इक दिन आखिर दोनों ने एक दूजे का होने की ठान ली। 24 अक्टूबर को दोनों ने जमुई के एक मंदिर में शादी कर ली। एक लड़की ने दूसरी की मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र भी पहनाया। लखीसराय निवासी लड़की ने पत्नी की भूमिका स्वीकार की तो वहीं जमुई जिले की लड़की ने पति की। अब दोनों को डर था परिवार वालों का। सो परिवार के डर से ये राजेंद्र नगर, पटना भाग आईं।
इस बीच इनके लापता होने पर पति की भूमिका निभा रही लड़की के परिवारीजनों ने पत्नी की भूमिका निभा रही लड़की पर अपरहरण का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज करा दी।
पुलिस में शिकायत के डर से दोनों युवतियां पटना से जमुई स्टेशन पर आ गईं। उनको देख लोगों को कुछ संदेह हुआ तो मामला जीआरपी थाने की पुलिस तक पहुंच गया। जब पुलिस ने दोनों से पूछताछ की तो दोनों ने बताया कि वे बालिग हैं और समलैंगिक विवाह कर चुके हैं। रेल थानाध्यक्ष अरविंद राय द्वारा इसकी सूचना संबंधित थाने को दी गई। इसके बाद संबंधित थाने की पुलिस कागजी कार्रवाई पूरी कराकर दोनों को अपने साथ ले गई।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को फिलहाल मान्यता नहीं दी है। पांच जजों की बेंच ने इस पर बंटा हुआ फैसला सुनाते हुए कहा था कि विवाह करना मौलिक अधिकार नहीं है। ऐसे में समलैंगिक विवाह को मान्यता दिया जाना संभव नहीं है। हालांकि उन्होंने समलैंगिक जोड़ों से भेदभाव रोकने के लिए सरकारों निर्देशित किया था। कहा गया कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र पर निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 18 समलैंगिक जोड़ों द्वारा विवाह की मान्यता देने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आया था।
रिपोर्टः मुकेश, संवाददाता, जमुई, बिहार
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