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मोगा में गिरफ्तारी, पर क्यों Amritpal Singh को ले जाया गया डिब्रूगढ़ जेल

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पंजाब पुलिस एक महीने से खालिस्तानी नेता और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) का पीछा का पीछा कर रही थी। आखिरकार प्रदेश के मोगा जिले में अमृतपाल ने आत्मसमर्पण किया। हालांकि, पंजाब में गिरफ्तारी होने के बावजूद, उसे असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल ले जाया गया।

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आपको बता दें कि डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में अमृतपाल के आठ समर्थक पहले से बंद हैं। बताया जा रहा है कि यहां अमृतपाल को 69 सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में अलग रखा गया है। सवाल ये है कि आखिर डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल को ही क्यों चुना गया? डिब्रूगढ़ जेल को देश की सबसे पुरानी और सबसे सुरक्षित जेलों में से एक माना जाता है।

जेल तोड़ने का नहीं हुआ प्रयास

सूत्रों के अनुसार, अमृतपाल सिंह और उनके कट्टरपंथी संगठन वारिस पंजाब दे के कई सदस्यों को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया था, क्योंकि उत्तर भारत की जेल में रखने से जेलों में अन्य कैदियों के कारण गिरोह की गतिविधियां हो सकती हैं। ऐसे में अमृतपाल सिंह और उनके अन्य जेल समर्थकों को देश के दूसरी तरफ ले जाया गया है क्योंकि उत्तर भारतीय जेल में खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े कई गैंगस्टर और अलगाववादी गड़बड़ी कर सकते हैं। आपको बता दें कि असम में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के लगभग 2 शताब्दी पुराने इतिहास में कभी भी जेल तोड़ने का बड़ा प्रयास नहीं हुआ है। ये भारत की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है। त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में ये असम के ब्लैक कैट कमांडो, सीआरपीएफ और स्थानीय सुरक्षाकर्मियों से भी घिरा हुआ है।

मिली जानकारी बताती है कि अमृतपाल सिंह ने मोगा के एक गुरुद्वारे में प्रवचन देने के बाद पंजाब पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने इलाके को घेर लिया था और लाउडस्पीकरों के जरिए घोषणा की थी कि इलाके से भागने का कोई रास्ता नहीं है, जिसके बाद खालिस्तानी नेता ने आत्मसमर्पण कर दिया।

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