पंजाब के लुधियाना में जहरीले कीड़े ने एक पुलिस कांस्टेबल को काट दिया, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सा के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया। मृतक के शव को पुलिस और अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने एम्बुलेंस से पोस्टमार्टम के लिए ले जाने लगे। मृतक का शव एम्बुलेंस में रखते समय पुलिसकर्मी हैरान रह गए क्योंकि उन्हें उसके शरीर में हलचल महसूस हुई और उन्होंने नब्ज चलती हुई भी देखा। मृतक को फिर आनन फानन में एक अन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी स्थिर है।
पीड़ित पुलिसकर्मी का नाम मनप्रीत है और वह नायब कोर्ट कचहरी में कार्यरत है। पीड़ित व्यक्ति के पिता रामजी भी पंजाब पुलिस में एसआई हैं। उन्हें बताया गया कि मेरे बेटे मनप्रीत को एक जहरीले कीड़े ने काट लिया था और उसके शरीर में इंफेक्शन बढ़ने पर एम्स बस्सी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उसके हाथ में दर्द और सूजन के कारण कराहने लगा। पीड़ित पिता रामजी ने बताया कि तबियत खराब होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत बताई। परिजनों की सहमति मिलने के बाद, उसे दो से तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
परिजनों ने उसके स्वास्थ्य में कोई लाभ न होने पर डॉक्टरों से उसे रेफर करने को कहा। पीड़ित के पिता ने कहा कि परिवार पीजीआई में उसका इलाज करवाने को कह रहा था। डॉक्टरों ने पीड़ित को जान का खतरा बताया जब उनसे रेफर करने की बात कही गई। डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि पीड़ित कांस्टेबल को वेंटिलेटर से उतारने पर तीन मिनट में मौत हो जाएगी। मनप्रीत उसी दिन दो से तीन बजे की बीच मर गई। मनप्रीत का शव दूसरे पुलिस कर्मचारियों के साथ एम्बुलेंस में पोस्टमार्टम के लिए रखा जा रहा था, तभी उसे अचानक नब्ज चलने का एहसास हुआ। पीड़ित के पिता ने ऐसा देखकर डीएमसी अस्पताल प्रशासन से कहा कि उन्हें जबरदस्ती एम्बुलेंस में डाल दिया जाए, जिससे वे तुरंत अस्पताल पहुंचे। जहां इलाज चल रहा है और डॉक्टरों ने बताया है कि मृतक की हालत स्थिर है। मनप्रीत की मौत की खबर सुनकर परिवार पुलिस महकमे में शोक फैल गया। मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां भी जुटाई जाने लगी। कांस्टेबल मनप्रीत की मौत की सूचना भी परिवार वालों ने रिश्तेदारों को दी। फिर भी, उसकी हालत में सुधार होने से उसकी परिवार वालों को राहत मिली है। वहीं पीड़ित के पिता रामजी ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई की जरूरत है।
एम्स बस्सी अस्पताल ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि अस्पताल के किसी भी कर्मचारी ने मनप्रीत की मौत के बारे में कुछ नहीं कहा था। स्टाफ ने मरीज को जिंदा ही अस्पताल भेजा है। अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि अगर वह मर गया होता तो अस्पताल मृतक के शव को डेथ समरी देता। उनका आरोप था कि परिवार अपनी इच्छा से मनप्रीत को ले जा रहा था। अस्पताल ने उसकी हालत को देखते हुए उसे वेंटिलेटर दिया। परिजनों ने लगाया जा रहा आरोप गलत और बेबुनियाद है।
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