चारे की कमी और दूध की बढ़ती कीमतों पर राघव चड्डा ने केंद्र से किए तीखे सवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) के दिग्गज नेता और पंजाब से राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को चारे की कमी और दूध की बढ़ती कीमतों के बारे में पहले से पता था तो भी उसने इस मामले को लेकर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए ?
उन्होंने कहा कि 2 साल पहले से इस समस्या के बारे में जानने के बावजूद कुछ नहीं किया गया जिससे केंद्र की नाकामी साफ दिख रही है और इसी वजह से दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है। यह अभी अधिक बढ़ेगी क्योंकि वर्तमान में चारे की भारी कमी है। चारे और दूध की कीमतों में सीधा संबंध है और एक का दाम बढ़ा तो दूसरा अपने आप प्रभावित हो जाता है।
अपनी ट्वीट्स की सीरीज में सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “दूध की कीमतें फिर से बढ़ने के लिए तैयार हैं ?! कारण? 1. चारे की कीमतों में बेरोकटोक वृद्धि 2. लम्पी वायरस के प्रसार के कारण कुछ वर्षों से किसान चारे के बजाय अन्य फसलों की बुवाई करना पसंद कर रहे हैं। चारे की कीमतें अब अगस्त में 9 साल के उच्चतम स्तर 25.54% तक पहुंच गई हैं। अकेले गुजरात में, जो कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, पिछले दो वर्षों में चारा फसलों का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर कम हो गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल पहले चारे के संकट और कृषक परिवारों पर इसके प्रभाव को देखा था। इसलिए, विशेष रूप से चारे के लिए 100 किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में तैयार किया गया था।
केंद्र पर हमला बोलते हुए राघव चड्डा ने कहा, “विडंबना यह है कि संकट सामने आने के बावजूद अभी तक एक भी एफपीओ पंजीकृत नहीं किया गया है। सरकार को वर्षों पहले संभावित संकट के बारे में पता था, लेकिन कुछ नहीं किया। केवल एक साल में, चारे की कीमतों और मांग दोनों में तीन गुना वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए अकेले राजस्थान और एमपी में, चारे (भूसे) की कीमतें 400-600 रू प्रति क्विंटल से बढ़कर 1100-1700 प्रति क्विंटल हो गईं। लम्पी वायरस अनियंत्रित रूप से फैल रहा है और चारे की कीमतें बेरोकटोक बढ़ रही है, लेकिन सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। परिणाम स्वरूप किसानों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।”
राघव चड्डा देश के युवा सांसदों में से एक है जो कि टेक्नोलॉजी से लेकर कृषि के जन मुद्दों को संसद से लेकर सड़क उठाते आये हैं और इस बार भी उन्होंने केंद्र सरकार पर दूध की बढ़ती कीमतों को लेकर सवाल दागे है जो कि वास्तव में डेरी इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।