Meeting of I.N.D.I. Alliance: इंडी गठबंधन की वर्चुअल बैठक हो चुकी है। इस बैठक में आरजेडी की तरफ से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव शामिल हुए। वहीं जेडीयू की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ललन सिंह और संजय झा शामिल हुए हैं। ऐसे में देखना लाजिमी होगा कि इस मीटिंग के बाद सीट शेयरिंग मुद्दे का क्या हल निकलता है। वहीं नीतीश का क्या स्टैंड रहता है।
इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग पर चर्चा तेज है। एक ओर जहां आरजेडी और जेडीयू नेता ये कहने में लगे हैं कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है और सीट शेयरिंग पर जल्द फैसला हो जाएगा तो वहीं जेडीयू के नेता केसी त्यागी द्वारा दिए गए एक बयान ने खलबली मचा दी थी। उन्होंने क्लीयर कट कह दिया था कि जेडीयू विगत लोकसभा चुनाव में जीती गई सभी 16 सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारेगी।
वहीं तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर बोल चुके हैं कि इंडी गठबंधन में सब कुछ ठीक है। सीट शेयरिंग का भी जल्दी ही हल निकलेगा। ऐसे में इस बैठक में एक और मुद्दा संयोजक का भी हो सकता है।
जेडीयू नेता लगातार नीतीश को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं नीतीश की मानें तो उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। उन्होंने सभी विपक्षी पार्टियों को इसलिए एकजुट किया है कि बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बेदखल किया जा सके। बैठक से ख़बरें आ रही हैं कि नीतीश ने संयोजक बनने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मेरी किसी पद में दिलचस्पी नहीं। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नीतीश पीएम पद का उम्मीदवार बनना चाहते हैं। वहीं नीतीश ने यह भी कहा कि कांग्रेस से ही गठबंधन का अध्यक्ष चुना जाना चाहिए।
यह बैठक इसलिए और अहम हो जाती है कि इसके बाद काफी हद तक विपक्षी पार्टियों की लोकसभा चुनाव में राजनीतिक भूमिका स्पष्ट हो जाने की उम्मीद है. दरअसल सबसे ज्यादा चर्चा जेडीयू के फिर से एनडीए में शामिल होने को लेकर है। हालांकि जेडीयू नेता और स्वयं नीतीश कुमार इस बात को सिरे से खारिज कर चुके हैं तो वहीं भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने भी जेडीयू के लिए एनडीए के दरवाजे बंद होने की बात कही थी।
इस मुद्दे पर चर्चा इसलिए क्योंकि पशुपति नाथ पारस और आएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश के एनडीए में शामिल होने की अटकलें लगाई थीं. उपेंद्र कुशवाहा ने तो यह तक कहा था कि अगर नीतीश एनडीए में शामिल होना चाहें तो उनकी पैरवी कर देंगे। अब यह तो इंडी गठबंधन की बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर सीट शेयरिंग से लेकर तमाम मुद्दों पर गठबंधन का क्या फैसला होता है। वहीं नतीश के कांग्रेस से नाराज होने की ख़बरें भी आम रही हैं। नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस नेताओं को अपनी पार्टी की चिंता है उन्हें गठबंधन की चिंता नहीं है।
हालांकि अब देखना यह होगा कि गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को कितनी लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मौका मिलेगा। क्योंकि यूपी में अखिलेश सिहं यादव और बिहार में जेडीयू कांग्रेस को ज्यादा लोकसभा सीटों पर तरजीह देने के मूड में नहीं लग रही है।
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