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MP: धीरेंद्र शास्त्री को हाईकोर्ट से राहत, कथा के खिलाफ लगी याचिका खारिज

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बालाघाट के भादू कोटा में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की राम कथा के खिलाफ लगी याचिका को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, इसके साथ ही जज ने याचिकाकर्ता के वकील को जमकर फटकार भी लगाई है। दरअसल याचिकाकर्ता का दावा किया था कि भादूकोटा आदिवासियों के देवता बड़ा देव का पूजन स्थल है और रामकथा से आदिवासियों की भावनाएं आहत होती हैं।

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हाइकोर्ट ने याचिका की निरस्त

मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि याचिका में ऐसे कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं, जिससे यह साबित हो कि इस आयोजन से आदिवासियों की भावनाएं आहत हो रही हैं। कोर्ट ने याचिका को तर्कहीन बताते हुए निरस्त कर दिया हैं। सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष गोवर्धन मरावी की ओर से इस याचिका को प्रस्तुत किया गया। आदिवासी समाज, गोवर्धन मरावी को अपना अध्यक्ष मानता है, लेकिन ऐसी कोई दायर हुई याचिका में अंकित नहीं की गई थी। इस बात का जवाब याचिकाकर्ता के वकील नहीं दे सके। जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि आदिवासियों की भावनाएं किस तरह से प्रभावित हुई हैं, तो वकील के पास इसका कोई भी जवाब नहीं था।

जज ने लगाई वकील को फटकार

याचिकाकर्ता के वकील जजों के सवालों का उचित जवाब नहीं दे सके। उनका कोर्ट के प्रति व्यवहार भी अनुचित पाया गया। इस दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल और एडवोकेट जी.एस उदवे में नोकझोंक भी हुई। जिसके बाद जज ने वकील को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि उल्टी-सीधी बातों करोगे तो जेल भेज दिए जाओेगे। बालाघाट के परसवाड़ा के ग्राम भादू कोटा में 23 और 24 मई को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की राम कथा प्रस्तावित थी। ग्राम भादू कोटा के आयोजन स्थल को लेकर स्थानीय लोगों ने सवाल उठाते हुए 22 मई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में राम कथा के स्थल को किसी और जगह करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष गोवर्धन मरावी की तरफ से यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि सभा स्थाल आदिवासियों के देवता बड़ा देव का पूजा स्थल है, यहां रामकथा के आयोजन में आदिवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। साथ ही यह कहा कि पैसा एक्ट के तहत आयोजन के पहले ग्राम सभा की अनुमति लेनी जरूरी होती है, लेकिन धीरेंद्रे शास्त्री की कथा आयोजन को लेकर कोई अनुमति नहीं ली गई। इसलिए यहां कथा आयोजित न की जाए।

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