Advertisement

बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार है अलर्ट मोड में, सभी स्कूलों में कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से करना होगा पालन: मनीष सिसोदिया

Share
Advertisement

नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना महामारी के कारण लम्बे समय तक बंद रहने के बाद बुधवार से स्कूल और कॉलेज दोबारा खोले गए।  उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई दोबारा सामान्य तरीके से उनके क्लासरूम में शुरू हो चुकी है। बारिश के बावजूद बच्चे स्कूल आये हैं। ये दर्शाता है कि बच्चे बड़ी बेसब्री से स्कूल खुलने का इंतज़ार कर रहे थे| उन्होंने कहा कि, “महामारी के कारण स्कूल पिछले 1.5 साल से बंद थे। इस दौरान बच्चों की पढ़ाई का काफी ज्यादा नुकसान हुआ है।

Advertisement

बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार है अलर्ट मोड में: सिसोदिया

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार, अधिकारी और स्कूल प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है।  ये सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी स्कूलों में कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो।  उन्होंने कहा कि अभी स्कूल 50 फीसदी क्षमता के साथ खोले जा रहे लेकिन जब प्रोटोकॉल का पालन करना बच्चों की आदत बन जाएगी उसके बाद पूरी क्षमता के साथ स्कूल खोल दिए जाएंगे। सिसोदिया ने आगे कहा कि कई एक्सपर्ट्स की राय थी कि बच्चों में कोरोना का जोखिम कम है, इसके मद्देनज़र 100-150 स्कूलों से शुरुआत कर  प्राइमरी क्लासेज के लिए भी स्कूलों को खोला जा सकता है।  लेकिन सरकार बड़ी क्लासों के लिए स्कूलों को खोलने के अनुभवों के आधार पर ही प्राइमरी क्लासेज के लिए स्कूल खोलने का निर्णय लेगी।

सभी स्कूलों में कोरोना संबंधी प्रोटोकॉल और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से करना होगा पालन: मनीष सिसोदिया

उन्होनें कहा कि, स्कूलों के खुलने के साथ ही बच्चों को पढ़ाना शुरू नहीं कर दिया जाएगा बल्कि पहले 2-3 दिन संवाद के जरिए उनके सोशल-इमोशनल वेल बींग पर काम किया जाएगा ताकि बच्चों को बुरे दौर की मन:स्थिति से बाहर लाया जा सके।  उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूलों में बुलाने से पहले उनके पेरेंट्स की मंजूरी ली जा रही है। कोई भी स्कूल पेरेंट्स की मंजूरी न मिलने पर बच्चों को स्कूल में बुलाने पर बाध्य नहीं कर सकता है  और स्कूल नहीं आने पर उन्हें अबसेंट भी नहीं लगाया जाएगा। साथ ही सभी शैक्षणिक गतिविधियां ब्लेंडेड तरीके से ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी चलती रहेंगी। पेरेंट्स में भी धीरे-धीरे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए आत्मविश्वास जगेगा। रिपोर्ट- कंचन अरोड़ा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *